पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मंच सज चुका है. कल यानी 28 अक्टूबर को बिहार में पहले चरण में 71 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. चुनाव के पहले चरण की सारी तैयारियां हो चुकी हैं.
पहले चरण में राज्य के कुल आठ मंत्रियों की अग्नि परीक्षा होनी है. पटना के ग्रामीण इलाके के साथ-साथ मगध और शाहाबाद के इलाके में भी पहले चरण के अंदर मतदान होना है. चुनाव-प्रचार बंद होने के साथ असल गुणा-भाग चालू हो चुका है. पटना, गया, जहानाबाद, बक्सर, भोजपुर समेत 16 जिलों की 71 सीटों के लिए 1,066 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से 114 महिलाएं हैं.
पहले चरण में 2 करोड़ 14 लाख 6 हजार 96 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पहले चरण की जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें कुछ खास सीटों पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. इसमें कुछ की हार-जीत पर बिहार की सियायत का भी फैसला टिका है तो कुछ अपने दलों के लिए प्रतिष्ठा बन गए हैं. पहले चरण में राज्य सरकार के आठ मंत्रियों समेत कई दिग्गज मैदान में हैं.
इस चरण में जिन दिग्गजों के भाग्य का फैसला होना है, उनमें शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार, विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री जय कुमार सिंह, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा, खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद और परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला शामिल हैं.
इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री विजय प्रकाश, श्रेयसी सिंह, अनंत सिंह, राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और भगवान सिंह कुशवाहा पर भी सभी की निगाहें है. अब देखना यह है कि कोरोना काल में जब सब अपने अपने घरों में बैठे हैं तब पिछली बार के मुकाबले इस बार मतदान का प्रतिशत मे कितना बदलाव आता है.
श्रेयसी सिंह राजनीति में भले ही नई हों, लेकिन राजनीति उनके लिए नई चीज नहीं
श्रेयसी सिंह राजनीति में भले ही नई हों, लेकिन राजनीति उनके लिए नई चीज नहीं है. देश के लिए भी वे कोई अनजान चेहरा भी नहीं हैं. अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित तथा निशानेबाजी में राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण व एशियाई खेलों में कांस्यपदक विजेता श्रेयसी सिंह पूर्व मंत्री दिग्विजय सिंह एवं पूर्व सांसद पुतुल सिंह की बेटी हैं.
बीते लोक सभा चुनाव के दौरान उन्होंने बांका से प्रत्याशी रहीं अपनी मां के लिए चुनाव प्रचार भी किया था. 29 साल की श्रेयसी में भाजपा ने अपना भविष्य का चेहरा देखा है. वह जमुई से भाजपा की प्रत्याशी हैं, जहां उनका मुकाबला राजद के बडे नेता विजय प्रकाश से हो रहा है.
श्रेयसी बिहार के लोगों का आजीविका के लिए पलायन रोकने और उनका प्रदेश में भरोसा बहाल करने का लक्ष्य लेकर विधानसभा चुनाव लड रहीं हैं. कहतीं हैं कि राजनीति में विकास की बात होनी चाहिए. केवल मूलभूत ढांचा बदलना ही विकास नहीं होता है, बल्कि बहुआयामी विकास जरूरी है.
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस चुनाव में एनडीए में
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस चुनाव में एनडीए में हैं. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने महागठबंधन छोड कर नीतीश कुमार के साथ एनडीए का दामन थाम लिया था. लोजपा के बाद मांझी को एनडीए में दलित चेहरा के रूप में देखा जा रहा है. मांझी के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लडाई है. अगर वे सम्मानजनक सीटें पाने में कामयाब रहे तो बिहार की राजनीति में बड़ा दलित चेहरा बनकर उभरेंगे.
बिहार की राजनीति में जब भी बाहुबलियों की बात होती है, अनंत सिंह का नाम जरूर आता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हो या राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, अनंत सिंह समय-समय पर दोनों के लिए राजनीतिक मजबूरी बनते रहे हैं. कभी नीतीश के करीब रहे अनंत इस चुनाव में लालू के साथ हैं और तेजस्वी यादव में भविष्य का मुख्यमंत्री देख रहे हैं. अनंत सिंह मोकामा से चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. उनका मुकाबला भाजपा के राजीव लोचन सिंह से है. मोकामा में 'छोटे सरकार' के नाम से प्रसिद्ध अनंत सिंह बीते चुनाव में जदयू को भारी अंतर से पराजित करने में सफल रहे थे.
वहीं एक अन्य बाहुबली पूर्व विधायक सुनील पांडेय तरारी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किस्मत आजमा रहे हैं. इनकी सीट पर भी पहले चरण में मतदान होना है.बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जिनके भाग्य का फैसला होना है, उनमें राजद के 42 तो जदयू के 35 उम्मीदवार शामिल हैं.
इसके अलावा भाजपा के 29, कांग्रेस के 21, माले के आठ, हम के छह और वीआईपी के एक प्रत्याशी मैदान में है. इसी प्रकार रालोसपा के 43, लोजपा के 42 और बसपा के 27 उम्मीदवार हैं. लोजपा के 42 उम्मीदवारों में 35 जदयू के खिलाफ है. वहीं, 6 हम और एक वीआईपी के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं.