Bihar Elections 2020: राजस्थान की सियासी राह पर चिराग, मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं...
By प्रदीप द्विवेदी | Published: October 5, 2020 09:50 PM2020-10-05T21:50:14+5:302020-10-05T21:50:14+5:30
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जो लंबे समय से बिहार के सीएम नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे, ने नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया है. रविवार को हुई पार्टी की संसदीय दल की बैठक में लोजपा के नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ने का निर्णय किया है.
पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव- 2018 के दौरान एक नारा बड़ा चर्चित था- मोदी से कई बैर नहीं, रानी तेरी खैर नहीं, लगता है अब बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ऐसे ही नारे के साथ आगे बढ़ रही है कि- मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं.
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जो लंबे समय से बिहार के सीएम नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे, ने नीतीश कुमार के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया है. रविवार को हुई पार्टी की संसदीय दल की बैठक में लोजपा के नेताओं ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ने का निर्णय किया है.
बड़ा सवाल यह है कि क्या राजस्थान की तरह ही बिहार में भी इसका नुकसान एनडीए को उठाना होगा? चिराग के पाॅलिटिकल एक्शन के असर को लेकर राजनीतिक जानकार अलग-अलग सियासी नतीजे बता रहे हैं. कहा जा रहा है कि इससे बीजेपी को बड़ा फायदा होगा कि सीटों के बंटवारे में भले ही जेडीयू के पास बीजेपी के बराबर सीटें हों, लेकिन बिहार विधानसभा में जेडीयू के सापेक्ष बीजेपी के पास ज्यादा सीटें होंगी, मतलब- नीतीश कुमार के सीएम पद का दावा कमजोर हो सकता है.
क्योंकि, चिराग लंबे समय से नीतीश कुमार का विरोध कर रहे हैं, इसलिए यह भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने ऐसे सियासी संकट की आशंका के मद्देनजर जरूर राजनीतिक रणनीति बनाई होगी, बिहार के पासवान विरोधी नेताओं को नीतीश कुमार अपने करीब लाए हैं, ताकि उनके वोट बैंक पर पकड़ बरकरार रखी जा सके.
वैसे नीतीश कुमार के सामने कई और राजनीतिक चुनौतियां भी हैं. इस वक्त पीएम मोदी का सियासी असर उतार पर है, तो कोरोना संकट के दौरान नीतीश सरकार की उदासीनता भी जनता के लिए प्रश्न-चिन्ह है, लिहाजा नीतीश कुमार भले ही अपनी राजनीतिक चतुराई के दम पर सियासी समीकरण को तो साध लेंगे, परन्तु जनता को संतुष्ट करना आसान नहीं है.
सियासी सारांश यही है कि चिराग भले ही नीतीश कुमार की सियासी खैरियत पर सवालिया निशान लगा दें, किन्तु बीजेपी के लिए भी सत्ता सवाल बन जाएगी, क्योंकि नीतीश कुमार ने शिवसेना जैसा पाॅलिटिकल एक्शन दिखाया तो सत्ता का समीकरण बदल भी सकता है!