बिहार: कुढ़नी हार के बाद महागठबंधन में सिरफुटौव्वल, माझी की पार्टी ने लालू की पार्टी को बताया दोषी
By आरके सिन्हा | Published: December 8, 2022 04:50 PM2022-12-08T16:50:27+5:302022-12-08T16:55:32+5:30
हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कुढ़नी हार पर कहा कि कुढ़नी चुनाव के समय महागठबंधन द्वारा शहाबुद्दीन के परिवार को दरकिनार करना महंगा पड़ा।
पटना: बिहार में कुढ़नी सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा के द्वारा सत्ताधारी दल जदयू को चारो खाने चित्त कर दिये जाने के बाद महागठबंधन में बवाल मच गया है। महागठबंधन के घटक दल हम ने इसके लिए राजद को दोषी ठहराया है। वहीं राजद ने हार के कारणों की समीक्षा की बात कही है। इधर, कांग्रेस हार के लिए शराबबंदी को दोषी ठहराया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कुढ़नी जाकर जमकर चुनाव प्रचार किया था। मुख्यमंत्री ने प्रचार के दौरान नौकरी में बहाली का कार्ड खेला था तो तेजस्वी यादव ने लालू प्रसाद का नाम लेकर सहानुभूति का कार्ड खेला था। बावजूद इसके कुढ़नी में जदयू प्रत्याशी को हार मिली।
इसके बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कुढ़नी की हार को महागठबंधन के लिए चेतावनी बताते हुए कहा कि कुढ़नी चुनाव के समय शहाबुद्दीन साहब के परिवार को दरकिनार करना महागठबंधन को महंगा पड़ा। उन्होंने कहा कि चुनाव में हमारे कोर वोटर में मायूसी और बिखराव साफ तौर चुनाव के दौरान दिख रहा था।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह हार महागठबंधन के लिए एक सबक है। हम अब भी अगर नहीं चेतें तो परिणाम और भी खराब होंगें। दानिश ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब महागठबंधन में को-अर्डिनेशन कमिटी बना ली जाए और गठबंधन में शामिल सभी दलों का साथ लिया जाए। इधर, राजद नेता श्याम रजक ने कहा कि कुढ़नी चुनाव परिणाम की हार की समीक्षा की जायेगी। समीक्षा बैठक के बाद ही पार्टी इसपर कुछ बोलेगी।
उधर, कांग्रेस ने हार के लिए शराबबंदी को दोषी ठहराया है। कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने शराबबंदी से बिहार में काफी आक्रोश है। लेकिन, सरकार इसे समझ नहीं पा रही है। उल्लेखनीय है कि कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चार जनसभायें की थी। वे लोगों से कहते रहे कि सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद लालू यादव यही पूछेंगे कि कुढ़नी का क्या हुआ?
एक विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उप चुनाव में सत्तारूढ पार्टी के मंत्री, विधायक औऱ सांसद वोटिंग के दिन तक कैंप करते रहे। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खुद वहीं खूंटा गाड़ कर बैठे रहे। महागठबंधन की सात पार्टियों के साथ साथ आंठवी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी भी भाजपा को हराने में लगी रही। इसके बावजूद राजद की सीटिंग सीट पर महागठबंधन का उम्मीदवार चुनाव हार गया। अब इस परिणाम का अगर एक लाइऩ का विश्लेषण किया जाये तो यही बात सामने आती है कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक हो गये हैं। उनकी राजनीति अंत होने के कगार पर पहुंच गई है।