पटना: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद लालू यादव की पार्टी राजद की चिता बढ़ गई है। प्रशांत किशोर अपने संगठन को पार्टी बनाने में लगे हैं। जिसे देखते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को पत्र तक जारी करना पड़ गया। उन्होंने राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सख्त हिदायत दी है। जगदानंद सिंह द्वारा हस्ताक्षरित एक गुप्त पत्र सोशल मीडिया पर आया है।
अब जन सुराज ने अपने एक्स हैंडल पर इस पत्र का स्क्रीनशॉट इस टिप्पणी के साथ साझा किया है। जन सुराज ने कहा है कि ‘जन सुराज के पार्टी बनने की घोषणा भर से बिहार का सबसे मजबूत दल होने का दावा करने वाले राजद की घबराहट देखिए। बेचारे अपने दल में मची अफरा-तफरी और राजद छोड़कर जाने वाले अपने ही नेताओं को रोकने के लिए धमकी दे रहे हैं। भय और अपराध की राजनीति इनकी फितरत है। पहले बिहार की जनता ने छोड़ा और अब दल के कार्यकर्ता और नेता छोड़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जगदानंद सिंह ने जन सुराज को भाजपा की ’बी’ टीम बताया है। साथ ही उन्होंने जन सुराज अभियान पर फंड के लिए भाजपा पर निर्भर होने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने पत्र जारी करते हुए कहा है कि आए दिन सभी जिलों में देखा जा रहा है कि राजद के नेता और कार्यकर्ता जनसुराज के सहयोगी तथा सदस्य बन रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है।
उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा है कि जनसुराज एक राजनीतिक पार्टी है और प्रशांत किशोर उर्फ प्रशांत पांडेय इसके संस्थापक हैं। जो भाजपा एवं देश के धर्मालंबी लोगों से संचालित और वित्तीय घोषित है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के नेताओं से आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के बहकावे में आप ना आए। उनका इरादा राजद को कमजोर करने और भाजपा की शक्ति को बढ़ाने की है। दूसरी तरफ, इस पत्र के बारे में राजद नेताओं ने चुप्पी साध रखी है।
वहीं, इस पत्र पर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि जगदानंद सिंह की एक चिट्ठी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। राजद के पार्टी नेतृत्व की हताशा और निराशा इस पत्र में साफ दिख रही है। राजद के नेता और कार्यकर्ता लगातार अन्य दल में शामिल हो रहे हैं। राजद विचारहीन और नीतिहीन पार्टी है। अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का राजद में बोलबाला है। कोई भी समर्पित कार्यकर्ता ऐसे दल में नहीं टिक सकता।
अभिषेक झा ने आगे कहा कि हमारे पार्टी को लेकर भी प्रशांत किशोर खूब दावे करते थे, लेकिन जब वो बिहार घूमते हैं तो उनको नीतीश कुमार के बारे में उनकी लोकप्रियता का साफ पता चल जाता है। प्रशांत किशोर चाहे कुछ भी दावे कर लें, लेकिन किसी भी चुनाव में उनकी पार्टी का परफॉर्मेंस ठीक नहीं रहेगा।