Bid Adieu to Ratan Tata Last Rites: मुंबई में जमावड़ा। उमड़ा जनसैलाब?, अलविदा रतन टाटा, सबकी आंखें नम...। उद्योगपति रतन टाटा का मुंबई के वर्ली श्मशान घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। रतन टाटा का 86 साल के उम्र में बुधवार को निधन हो गया। महाराष्ट्र सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनका अंतिम संस्कार पारसी समुदाय द्वारा अपनाए जाने वाले रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने टाटा को "नैतिकता और उद्यमिता का अनूठा मिश्रण" कहा। हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े।
प्रसिद्ध उद्योगपति एवं परोपकारी रतन टाटा का अंतिम संस्कार बृहस्पतिवार शाम मध्य मुंबई स्थित एक शवदाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। मुंबई पुलिस ने उन्हें श्रद्धांजलि और गार्ड ऑफ ऑनर दिया। वर्ली स्थित शवदाह गृह में टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा समेत उनके परिवार के सदस्य और टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन समेत शीर्ष अधिकारी मौजूद थे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस, कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे सहित अन्य लोग भी शवदाह गृह में उपस्थित थे। शवदाह गृह में मौजूद एक धर्म गुरु ने बताया कि अंतिम संस्कार पारसी परंपरा के अनुसार किया गया।
उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार के बाद दिवंगत उद्योगपति के दक्षिण मुंबई के कोलाबा स्थित बंगले में तीन दिन तक अनुष्ठान किए जाएंगे। पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा (86) का बुधवार रात शहर के एक अस्पताल में निधन हो गया।
बात 1992 की है। मुंबई के यूनाइटेड सर्विसेस क्लब में कुछ दूरी से ‘हाय कैप्टन’ के अभिवादन की आवाज आती थी और उद्योगपति रतन टाटा तथा सेना के युवा कैप्टन विनायक सुपेकर साथ-साथ टहलते हुए गुफ्तगू करते थे, अपने किस्से साझा करते थे। उस घटनाक्रम के 32 साल बाद जब देश रतन टाटा के निधन पर शोक मना रहा है, कर्नल सुपेकर (सेवानिवृत्त) उनके साथ अपनी बातचीत को याद करते हैं।
टाटा का बुधवार रात शहर के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। सुपेकर उस समय महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजरन जनरल बी जी शिवले के एड-डि-कैंप (सहायक) थे। सुपेकर बताते हैं कि उन्होंने समुद्र किनारे क्लब के रास्ते पर चहलकदमी करने के दौरान टाटा के साथ एक बातचीत में अपने एक सहयोगी के बेटे का विषय उठाया था।
सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी अब पुणे में रहते हैं। उन्होंने पुणे से कहा, ‘‘मैंने सर (रतन टाटा) से कहा कि एक साथी सैन्य अधिकारी का बेटा कमर से नीचे से विकलांग है और उसे नौकरी की जरूरत है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र और गुजरात क्षेत्र के मुख्यालय में मेरे तत्कालीन सहयोगी लेफ्टिनेंट कर्नल बी एस बिष्ट का बेटा विजय विष्ट एक घोड़े से गिरकर बुरी तरह घायल हो गया था और उसके पैरों में गंभीर चोट आई थीं। मुझे पता चला था कि वह नौकरी की तलाश कर रहा है।’’
सुपेकर के मुताबिक टाटा ने कहा कि जो भी जरूरी होगा, करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अगली सुबह विजय को दक्षिण मुंबई स्थित टाटा समूह के मुख्यालय बंबई हाउस से फोन आया और प्रशासनिक सेक्शन में काम पर आने को कहा गया।’’ रतन टाटा ने इस घटना के एक साल पहले ही अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह की कमान संभाली थी।
सुपेकर ने कहा, ‘‘कोलाबा में सेना का एक पशु चिकित्सालय था और रतन टाटा अपने कुत्ते को नियमित जांच के लिए वहां ले जाते थे। एक बार, एक साथी सैन्य अधिकारी ने टाटा को धैर्यपूर्वक कतार में अपनी बारी का इंतजार करते देखा। अधिकारी, जो मेरे एक दोस्त थे, उन्होंने उनसे कतार से बाहर निकलकर आगे जाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया।’’
उन्होंने कहा कि सैन्य अधिकारी इतने बड़े उद्योगपति की ऐसी विनम्रता देखकर हैरान रह गए। सुपेकर ने बताया कि टाटा ने एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के अनुरोध पर सियाचिन में 403 फील्ड अस्पताल को एक सीटी स्कैन मशीन प्रदान की थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह मशीन सियाचिन के जवानों, नुबरा और श्योक घाटियों में रहने वाले आम नागरिकों तथा पर्यटकों के लिए वरदान साबित हुई।
इसने कई बेशकीमती जान बचाने में मदद की।’’ साल 1992 के बाद सुपेकर और टाटा की फिर कभी मुलाकात नहीं हुई। हालांकि पूर्व सैन्य अधिकारी को इस पर अफसोस नहीं है। वह कहते हैं कि उस एक साल में ही उन्हें सर रतन टाटा का भरपूर स्नेह मिला।