गौतम नवलखा ने कोर्ट में दी सफाई, कहा-रिसर्च, पुस्तकों के लिए रखा था नक्सलियों से संपर्क
By भाषा | Published: April 15, 2019 06:04 PM2019-04-15T18:04:17+5:302019-04-15T18:04:17+5:30
पुणे पुलिस ने यह मामला 31 दिसम्बर 2017 को एलगार परिषद के आयोजन के बाद दर्ज किया था जिससे कथित रूप से अगले दिन पुणे के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध होने के आरोप लगाये थे।
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने सोमवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि वह नक्सलियों के साथ केवल अनुसंधान और अपनी पुस्तकों के लिए सम्पर्क में थे। उन्होंने साथ ही यह सवाल भी किया कि इस सम्पर्क के लिए गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के प्रावधान कैसे लागू हो सकते हैं। नवलखा ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके पुणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किया गया मामला रद्द करने का अनुरोध किया है।
पुणे पुलिस ने यह मामला 31 दिसम्बर 2017 को एलगार परिषद के आयोजन के बाद दर्ज किया था जिससे कथित रूप से अगले दिन पुणे के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क गई थी। पुलिस ने नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं पर माओवादियों से संबंध होने के आरोप लगाये थे।
नवलखा के वकील युग चौधरी ने सोमवार को न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ को बताया कि वह (नवलखा) एक लेखक और शांति कार्यकर्ता हैं तथा संघर्ष क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं।
चौधरी ने कहा, ‘‘उन्हें पूर्व में भारत सरकार की ओर से तब मध्यस्थ नियुक्त किया गया था जब नक्सलियों ने छह पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया था। वह नक्सलियों के साथ सम्पर्क में हैं लेकिन यह केवल उनकी पुस्तकों और अन्य तथ्यांवेषी अनुसंधानों के लिए है।
इस सम्पर्क के लिए गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के प्रावधान कैसे लागू हो सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नवलखा पर दोनों (सरकार और नक्सली संगठनों) ओर से हमले किये जा रहे हैं। दोनों पक्ष सोचते हैं कि उनका दूसरे के प्रति झुकाव है।’’ पीठ इस याचिका पर अब 26 अप्रैल को आगे सुनवायी करेगी।
अदालत ने इसके साथ ही नवलखा को सुनवायी की अगली तिथि तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। नवलखा के अलावा चार अन्य ...वरवरा राव, अरुण फेरेरा, वी गोंसाल्विस और सुधा भारद्वाज मामले में आरोपी हैं।