सुप्रीम कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर छूट को बरकरार रखा है। कोर्ट ने गौतम की गिरफ्तारी पर छूट आज 15 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र से भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के दौरान गौतम नवलखा के खिलाफ एकत्र सामग्री को उसके समक्ष पेश किए जाने का भी आदेश दिया।
इससे पहले गौतम के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की याचिका पर 5 जजों के खुद को अलग करने से भी यह मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा में रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रवींद्र भट्ट ने गुरुवार को खुद को इस मामले से अलग किया था। इसके साथ ही वह इस मामले से खुद को अलग करने वाले पाचवें जज हो गये। इससे पहले इससे पहले 30 सितंबर को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और इसके बाद एक अक्टूबर को सदस्य जस्टिस आर गवई ने भी खुद को अलग कर लिया। जस्टिस एनवी रमन्ना और आर सुभाष रेड्डी भी खुद को इस सुनवाई से अलग कर चुके हैं।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार ने कैविएट दाखिल कर रखी है ताकि उसका पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाये। हाई कोर्ट ने 2017 के कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में जनवरी, 2018 में गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से 13 सितंबर को इंकार कर दिया था। इस मामले में नवलखा के साथ ही वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी हैं।