भीमा कोरेगांव केस: सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा की मेडिकल रिपोर्ट सभी पक्षों को देखने की इजाजत दी, अगली सुनवाई नौ नवंबर को
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 23, 2022 06:17 PM2022-10-23T18:17:35+5:302022-10-23T18:21:47+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में 70 साल के आरोपी गौतम नवलखा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को मुंबई स्थित जसलोक अस्पताल द्वारा दी गई उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट देखने की इजाजत दे दी है।
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार 70 साल के गौतम नवलखा के केस में सुनवाई करते हुए उनके स्वास्थ्य के बारे में मुंबई के जसलोक अस्पताल की ओर से दी गई रिपोर्ट सभी पक्षों के देखने की अनुमति दी है। मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि गौतम नवलखा का इलाज इस समय मुंबई के जसलोक अस्पताल में चल रहा है। जिसके बाद मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने मामले की सुनवाई 9 नवंबर तक के लिए टाल दी है।
बेंच ने मामले में आज जो महत्वपूर्ण आदेश दिया उसमें उन्होंने नवलखा की जसलोक अस्पताल से मिली रिपोर्ट को संबंधित पक्षों को देखने की इजाजत दे दी है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई स्थित तलोजा जेल के अधीक्षक को भीमाकोरेगांव मामले में जेल में बंद नवलखा को बेहतर इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जेल में बंद किसी भी आरोपी को चिकित्सा उपचार कराने का अधिकार सामान्य नहीं बल्कि मौलिक अधिकार की श्रेणी में आता है। इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाकर बेहतर इलाज कराया जाए। अदालत ने यह आदेश गौतम नवलखा की उस याचिका के संबंध में दिया था, जिसमें नवलखा ने कोर्ट से उन्हें तलोजा जेल में रखने की बजाय अस्पताल में नजरबंद रखने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में नवलखा ने बेंच को बताया था कि उन्हें पेट का कैंसर है और उस कारण उनके लिए कोलोनोस्कोपी कराना बेहद जरूरत है। उसके अलावा उन्हें त्वचा की एलर्जी और दांतों की समस्या भी है। जिसके लिए उन्हें बेहतर इलाज की आवश्यकता है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में गौतम नवलखा की याचिका का राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विरोध किया था और कहा था कि उन्हें तलोजा जेल में जरूरत की सारी सुविधाएं दी जा रही हैं। ऐसे में नवलखा को घर में नजरबंद करने और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने का कोई मजबूत आधार नहीं बनता है।
मालूम हो कि गौतम नवलखा ने बंबई हाईकोर्ट के 26 अप्रैल के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें कोर्ट ने उनके द्वारा दायर जेल प्रशासन की ओर से पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं नहीं मिलने और घर में नजरबंद करने की याचिका को खारिज कर दिया गया था।