भीमा कोरेगांव में क्यों है एक जनवरी का महत्व, 10 बिंदुओं में समझें अबतक का पूरा मामला

By आदित्य द्विवेदी | Published: August 30, 2018 07:31 AM2018-08-30T07:31:27+5:302018-08-30T07:31:27+5:30

भीमा कोरेगांव में क्यों है 1 जनवरी का महत्व? 10 बिंदुओं में जानिए, क्या है पूरा मामला...

Bhima Koregaon case: complete timeline and all you need to know | भीमा कोरेगांव में क्यों है एक जनवरी का महत्व, 10 बिंदुओं में समझें अबतक का पूरा मामला

भीमा कोरेगांव में क्यों है एक जनवरी का महत्व, 10 बिंदुओं में समझें अबतक का पूरा मामला

नई दिल्ली, 29 अगस्तः पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी के बाद भीमा-कोरेगांव मामला एकबार फिर चर्चा में है। इस साल 1 जनवरी 2018 को हुई हिंसा की आग महाराष्ट्र से होते हुए गुजरात तक पहुंची थी। कई हिंदुत्ववादी संगठनों पर दलितों से हिंसा का आरोप था। लेकिन पुलिसिया जांच ने बाद में यू-टर्न लिया और जून में पुलिस ने पांच एक्टिविस्टों को गिरफ्तार कर लिया। भीमा कोरेगांव में क्यों है 1 जनवरी का महत्व? 10 बिंदुओं में जानिए, क्या है पूरा मामला...

- महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव नाम का एक गांव है। यहां एक जनवरी 1818 को ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना के बीच पुणे के निकट भीमा नदी के किनारे कोरेगांव नामक गाँव में युद्ध हुआ था। एफएफ स्टॉन्टन के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को गंभीर नुकसान पहुँचाया। 12 घंटे तक चली लड़ाई में पेशवा के करीब 500-600 सैनिक मारे गये। भारी क्षति के बाद बाजीराव ने अपने सैनिकों को वापस बुला लिया। इस लड़ाई को पेशवा ब्राह्मण पर महारों की जीत के तौर पर देखा जाता था।

- भीमा कोरेगांव की इस जीत का जश्न मनाने के लिए हर साल एक जनवरी को पूरे महाराष्ट्र से दलित इकट्ठा होते हैं। 2018 में इस लड़ाई के 200 साल पूरे हो गए। देश भर के करीब ढाई सौ अलग-अलग संगठनों ने यहां 31 दिसंबर, 2017 के दिन एक 'यलगार परिषद' का आयोजन किया था। 

- 1 जनवरी 2018 को दलितों के जुटान में कुछ लोगों के समूह ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके बाद यहां हिंसा भड़क गई और एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। दलितों का आरोप है कि यह हिंसा हिंदुत्ववादी संगठनों ने भड़काई थी। 

- 3 जनवरी को पुणे पुलिस ने 'हिन्दू एकता मंच' के मुखिया मिलिंद एकबोटे और 'शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान' के मुखिया संभाजी भिड़े के खिलाफ मामला दर्ज किया। इन दोनों पर दलितों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप थे। मिलिंद एकबोटे को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन जल्द ही उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया गया। जबकि संभाजी भिड़े को कभी गिरफ्तार ही नहीं किया गया।

- 4 जनवरी को भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुणे के विश्रामबाग पुलिस ने आईपीसी की धारा 153 ए, 505 और 117 के तहत केस दर्ज किया गया है।  पुलिस ने मुंबई में होने वाले जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के कार्यक्रम को भी अनुमति नहीं दी। 

- 2 फरवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोपी  मिलिंद एकबोटे को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत को याचिका खारिज कर दिया। दंगा भड़काने का आरोप मिलिंद एकबोटे के अलावा संभा जी भिड़े पर भी है।

- अप्रैल में पुलिस ने 'यलगार परिषद' के आयोजकों के घर पर ही छापेमारी शुरू कर दी गई। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता रोमा विल्सन, मानवाधिकार अधिवक्ता सुरेंद्र गडलिंग, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत, नागपुर यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर शोमा सेन और दलित कार्यकर्ता सुधीर धावले के घरों और दफ्तरों पर यह छापेमारी की गई।

- जून में पुलिस ने इन पांचों लोगों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का आरोप था कि इन लोगों के माओवादी संगठनों से संपर्क हैं और 'यलगार परिषद' को माओवादी संगठन से वित्तीय मदद मिल रही थी। 

- पांच महीने बाद 28 अगस्त को महाराष्ट्र पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से दिल्ली में गौतम नवलखा, गोवा में प्रोफेसर आनंद तेलतुंबडे, रांची में मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी, मुंबई में सामाजिक कार्यकर्ता अरुण परेरा, सुजैन अब्राहम, वर्नन गोनसाल्विस,  हैदराबाद में  माओवाद समर्थक कवि वरवर राव, वरवर राव की बेटी अनला, पत्रकार कुरमानथ और फरीदाबाद में सुधा भारद्वाज के घर पर छापा मारा।

- 29 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें पांच सितंबर तक के लिए गिरफ्तारी से राहत दी। हालांकि इस अवधि में इन्हें घर में नजरबंद रखा जाएगा।

Web Title: Bhima Koregaon case: complete timeline and all you need to know

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