Interview: कब तक मिलेगा हर भारतीय को पीने का साफ पानी? जल जीवन मिशन की अगुवाई कर चुके भरत लाल ने दिया ये जवाब
By शरद गुप्ता | Published: December 7, 2022 07:33 AM2022-12-07T07:33:22+5:302022-12-07T07:33:22+5:30
नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस के महानिदेशक भरत लाल ने जल जीवन मिशन के निदेशक के रूप में अपने पहले के कार्यकाल में हर व्यक्ति को नल का स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी. लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता ने उनसे बात की है.
भारत में दुनिया की 16 प्रतिशत से अधिक मानव आबादी के साथ-साथ सबसे अधिक पशुधन है. 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है. लेकिन देश के पास दुनिया के मीठे पानी के संसाधनों का चार प्रतिशत से भी कम है. नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस के महानिदेशक भरत लाल ने जल जीवन मिशन के निदेशक के रूप में अपने पहले के कार्यकाल में ग्रामीण भारत में प्रत्येक व्यक्ति को नल का स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी. उन्होंने लोकमत समूह के वरिष्ठ संपादक (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से शासन और स्वच्छ जल आपूर्ति के मुद्दों पर बात की. प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :
- सुशासन की आकांक्षा तो सभी रखते हैं, लेकिन कुछ ही लोग इसे समझ पाते हैं. इसके प्रमुख घटक क्या हैं?
सुशासन के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता और जीवन सुगमता (ईज ऑफ लिविंग) सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. वर्तमान सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं का लाभ दिलाने के लिए आम आदमी के लिए निरर्थक हो चुके नियमों और अनावश्यक बाधाओं को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, पेंशन लाभ, कर भुगतान, पासपोर्ट बनाने आदि के संबंध में अपनाए गए ई-गवर्नेंस मॉडल सुशासन के कुछ उदाहरण हैं.
- सुशासन के लिए अलग संस्था बनाने की क्या जरूरत थी? क्या यह प्रशासन के लिए अनिवार्य नहीं है?
देश में एक शीर्ष स्तर की संस्था की आवश्यकता महसूस की गई, जो शासन के विभिन्न पहलुओं, नीतिगत सुधारों, देश और अन्य विकासशील देशों के सिविल सेवकों की क्षमता निर्माण और थिंक टैंक के रूप में काम करे. इस विशिष्ट कार्य को करने के लिए एनसीजीजी (नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस) बनाया गया है. यह स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शासन मॉडल से क्रॉस-लर्निंग में संलग्न है. केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के विचार पर चलता है.
- यहां आने से पहले आपने जल जीवन मिशन की अगुवाई की थी, जिससे हर घर में साफ पानी सुनिश्चित हो सके. काम कितना मुश्किल था?
आवास, बिजली, शौचालय, रसोई गैस, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पेंशन जैसी बुनियादी सुविधाएं सभी को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की गई थी. मिशन का फोकस इस बात पर है कि कोई भी छूटे नहीं और हर घर में नियमित आधार पर और पर्याप्त दबाव व निर्धारित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में नल से पानी की आपूर्ति होनी चाहिए. अगस्त 2019 में, जब मिशन की घोषणा की गई थी, कुल 19.35 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 17 प्रतिशत से भी कम यानी केवल 3.23 करोड़ घरों में नल से पानी की आपूर्ति थी. शेष 16 करोड़ से अधिक घरों में पांच साल में नल से जलापूर्ति उपलब्ध कराई जानी थी. तो, काम बड़ा था. इस कार्य की योजना बनाने और उसे लागू करने में आधुनिक तकनीकी उपकरण यानी बेसिस डाटा, सैटेलाइट डाटा, डाटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काम आए. हमारी प्राथमिकता में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट थे, जो मानव विकास सूचकांक में पिछड़े थे.
- हमने अभी तक कितना हासिल किया है? हर भारतीय को पीने का साफ पानी कब मिलेगा?
25 दिसंबर 2019 यानी सुशासन दिवस पर जल जीवन मिशन के दिशा-निर्देश जारी होने के साथ जमीनी स्तर पर वास्तविक काम शुरू हुआ और इन तीन वर्षों में अब 10.67 करोड़ यानी देश के 55 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों में नल से साफ पानी की आपूर्ति शुरू हो चुकी है. पिछले 3 वर्षों में 7.43 करोड़ परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किया गया है. यह प्रधानमंत्री द्वारा ‘स्पीड, स्केल एवं स्किल’ के साथ काम करने के आह्वान पर आधारित है.
- कई इलाकों में महिलाओं को पानी लाने के लिए कई किमी पैदल चलना पड़ता था. क्या स्थिति बदली है?
महिलाएं और बच्चे जल जीवन मिशन के सबसे बड़े लाभार्थी हैं. यह उनके जीवन को बदल रहा है. आप दूर-दराज, आदिवासी और जंगली इलाकों में जाइए और पाएंगे कि लोगों के घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही है. जल जीवन मिशन के तहत, दृष्टिकोण यह है कि कोई भी छूटने न पाए, और इसलिए हर घर को कवर किया जा रहा है.
- कम या नगण्य वर्षा वाले क्षेत्रों में हमें स्वच्छ पेयजल कैसे मिल रहा है?
घरेलू और पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल 5 प्रतिशत पानी का उपयोग किया जाता है. लगभग 85 प्रतिशत पानी की खपत कृषि उद्देश्य के लिए है. इसका मतलब पीने और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए जल आवंटन को प्राथमिकता, वर्षा जल संचयन और जल भंडारण, पुनर्भरण, सूक्ष्म सिंचाई विधियों को अपनाकर पानी का सदुपयोग करना, दूषित जल को साफ करना नल के स्वच्छ पानी को हर घर में उपलब्ध कराने की कुंजी है. कुछ शुष्क क्षेत्रों में जहां पर्याप्त जल स्रोत उपलब्ध नहीं हैं, पानी को नहर या पाइपलाइनों के माध्यम से और साफ करने के बाद पहुंचाया जाता है. उदाहरण के लिए गुजरात में पानी दक्षिण और मध्य गुजरात से सूखाग्रस्त उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में पहुंचाया जाता है.
- हम कितने क्षेत्रों में ग्रे (अपशिष्ट) पानी का पुन: उपयोग करने में कामयाब हो रहे हैं?
ग्रे वाटर (अपशिष्ट जल) संग्रह, उसकी सफाई और पुन: उपयोग जल जीवन मिशन का एक अनिवार्य घटक है. स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत ग्रे वाटर ट्रीटमेंट और उसके पुन: उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है. छात्रों और ग्राम पंचायतों को अपना ग्रे वाटर यूज प्लान तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ग्रामीण स्थानीय निकायों या पंचायतों को पानी और स्वच्छता के लिए अनुदान के रूप में 15 वें वित्त आयोग ने 2019-20 से 2025-26 तक 6 वर्षों के लिए 1.72 लाख करोड़ की राशि आवंटित की है.
- यदि हमारे जल निकाय और भूमिगत जल रसायनों, उर्वरकों, कीटनाशकों आदि से दूषित हैं तो हम स्वच्छ पेयजल कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
स्वच्छ पेयजल प्राप्त करने के दो पहलू हैं, एक निवारक और दूसरा उपचारात्मक. प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2019 को कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने, एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद करने आदि के बारे में व्यापक रूप से बात की थी. उन्होंने भारत को ‘खुले में शौच से मुक्त’ बनाने और स्वच्छता में सुधार के प्राथमिक उद्देश्य के साथ 2014 में स्वच्छ भारत मिशन की भी शुरुआत की ताकि वर्षा का एकत्रित जल दूषित न हो और प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ जल उपलब्ध हो.
- गुजरात में ऐसी ही जिम्मेदारी होने से आपको इस काम में कितना फायदा हुआ?
गुजरात में जल प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने का अनुभव निश्चित रूप से जल जीवन मिशन की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी में बहुत मददगार रहा है. उदाहरण के लिए, इससे गांवों में आवश्यक निवेश और विभिन्न राज्यों/क्षेत्रों में अपनाई जाने वाली रणनीति को तय करने में मदद मिली. इसने डाटा जुटाने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और वास्तविक समय में जेजेएम के सभी पहलुओं की निगरानी करने के लिए एक आधुनिक डैशबोर्ड विकसित करने में भी मदद की. प्रधानमंत्री का मंत्र है कि हमें समस्या को केवल प्रबंधित करने के बजाय उसे हल करने का प्रयास करना चाहिए. इससे बहुत ज्यादा स्पष्टता आई है.