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भारत बंद: देश में दिखा मिलाजुला असर

By भाषा | Updated: September 27, 2021 14:10 IST

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नयी दिल्ली, 27 सितंबर केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियनों के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया। विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। कई स्थानों पर वे रेल की पटरियों पर भी बैठ गए जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ।

बंद में शामिल 40 से अधिक किसान यूनियनों के मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (एसकेएम) ने किसान विरोध के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के तीनों कानून पर मोहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके को चिह्नित करने के लिए सोमवार को बंद का आह्वान किया है। बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा।

हालांकि देश का ज्यदा हिस्सा इससे प्रभावित नहीं दिखा, उत्तर भारत में ट्रेनों के रद्द होने या देरी से चलने और सीमा पार आवाजाही को रोकने वाले बड़े पैमाने पर यातायात जाम के कारण लोगों को दिक्कत हुई। बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं।

केरल में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुए, जहां हड़ताल का सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने समर्थन कर रहे हैं। राज्य के लगभग सभी व्यापार संघों ने बंद का समर्थन किया और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं। अधिकतर लोगों ने जरूरत पड़ने पर निजी वाहनों से ही यात्रा की।

‘इंटक’ के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन सहित यूनियन नेताओं का कहना है कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वाहनों को रोका नहीं किया जाएगा या दुकानों को जबरन बंद नहीं किया जाएगा।

पश्चिम बंगाल में भी बंद का असर देखा गया जहां वाम मोर्चे ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है। कोलकाता से सामने आई तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को एक रेलवे ट्रैक पर बैठे देखा जा सकता है। इसी तरह की तस्वीरें पश्चिम मिदनापुर से भी आईं, जिसमें वाम मोर्चा समर्थकों ने आईआईटी खड़गपुर-हिजरी रेलवे लाइन को बाधित किया।

राष्ट्रीय राजधानी में, ऑटो-रिक्शा और टैक्सी की आवाजाही सामान्य रही और वहीं दुकानें खुली रहीं, जो किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को केवल ‘‘सैद्धांतिक समर्थन’’ कर रहे हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित शहर की सीमाओं पर अफरा-तफरी मची रही, जहां किसानों ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्ग को जाम कर दिया। वहीं, हरियाणा के सोनीपत में कुछ किसान धरने पर बैठे। पंजाब के पास के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्रहां के सदस्य भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के मोगा सहित कई जगहों पर पूर्ण रूप से बंद रहा। किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जाम कर दिया।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘‘ मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केन्द्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’’

वहीं, हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्गों को किसानों ने जाम किया।

कर्नाटक में शुरुआती कुछ घंटों में जनजीवन कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ, सामान्य रूप से कामकाज हुआ तथा यातायात सेवाएं सामान्य रूप से उपलब्ध रहीं। हालांकि विरोध प्रदर्शनों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर किसानों द्वारा रास्ता रोकने के प्रयासों के कारण राज्य के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई है तथा बाद में और किसानों के एकत्र होने के कारण प्रदर्शन और व्यापक हो सकता है।

गुवाहाटी में ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। अस्पताल, दवा की दुकानें, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं और किसी परेशानी का सामना कर रहे लोगों को हड़ताल से छूट दी गई है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है।’’

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है।

इनमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल हैं। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है। केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाते हुए किसान संगठनों और वाम दलों ने तमिलनाडु के कई हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किया। तमिलनाडु में भाकपा और माकपा के राज्य सचिवों, आर मुथारासन तथा के. बालकृष्णन, विदुथलाई चिरुथिगल काची प्रमुख थोल थिरुमावलवन और सत्तारूढ़ द्रमुख से संबद्ध ‘लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन’ के पदाधिकारियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

भारत बंद का मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नजर नहीं दिखा और जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं।

मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं। कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा।

वहीं, तेलंगाना में कांग्रेस, वाम दलों, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और अन्य ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए। विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने बसों का संचालन बाधित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर बस अड्डों के बाहर प्रदर्शन किए। केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वनपर्थी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, आदिलाबाद, राजन्ना-सिरसिला, विकराबाद और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए।

राजस्थान में, किसानों के 'भारत बंद' का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडिया तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की।

‘भारत बंद’ के कारण सोमवार को करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर संभागों में 20 से अधिक स्थानों पर जाम हैं। इसके कारण करीब 25 ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई है।’’

सुरक्षा कारणों के चलते पंडित श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन भी बंद कर दिया गया। हरियाणा स्थित यह स्टेशन ‘ग्रीन लाइन’ पर है और टिकरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के निकट स्थित है।

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसानों को भय है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली खत्म हो जाएगी। हालांकि सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रहीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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