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'भारत बंद' से एक दिन में देश को लगती है 25000 करोड़ की चपत, कोर्ट दे चुका है ये कड़ा फैसला

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: September 10, 2018 16:15 IST

भारत बंद का असर अलग-अलग हिस्सों में देखने को भी मिल रहा है। वहीं, कुछ लोगों के लिए ये सही है तो कुछ के लिए गलत है। दरअसल एक दिन के बंद से हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर असर पड़ता है।

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नई दिल्ली, 10 सितंबरः देशभर में आज (सोमवार) विपक्ष की 21 पार्टियों से समर्थ‌ित कांग्रेस ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर भारत बंद बुलाया है। भारत बंद का असर अलग अलग हिस्सों में देखने को भी मिल रहा है। कई जगहों पर बलपूर्वक दुकानें बंद कराई गई हैं तो कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोक दी हैं। हर बार भारत बंद के बाद इसका हिसाब लगाया जाता है कि इससे कितना नुकसान हुआ। यहां हम कुछ आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनमें भारत बंद के चलते भारतीय अर्थव्यवस्‍था को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

क्या होता है असर

एक दिन के बंद का सीधा असर फैक्ट्रियों में होने वाले उत्पादन, शेयर बाजार और रिटेलर पर पड़ता है। क्योंकि ये प्रतिदिन के हिसाब से काम करती हैं। इतना ही नहीं छोटे बड़े किराना बाजार और सरकारी व प्राइवेद दफ्तरों के बंद होने से कामकाज पर असर होने से नुकसान होता है। साथ ही ट्रांस्पोर्टशन प्रभावित होते से यात्रियों को नुकसान होता है। ये सारी कुछ देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है जिसका असर नुकसान की ओर ले जाता है।

कितने का होता है नुकसान

न्यूज चैनल आज तक के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2015 में ट्रेड यूनियनों के द्वारा हुए भारत बंद के बुलाने का असर बड़े रूप में देखने को मिला था। चैंबर ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने आकलन किया कि देश की अर्थव्यवस्था को कुल 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। वहीं, 2016 में सेंट्रल ट्रेड यूनियन के द्वारा बंद बुलाया गया था। इस बंद नें एक दिन में ही देश के  ट्रांस्पोर्ट, मैन्यूफैक्चरिंग और बैंकिंग सेवा बुरी तरह प्रभावित हुई और इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम ने अर्थव्यवस्था को 18 हजार करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचने का दावा किया था।

 इसकी श्रेणी में 2018 में  दलित संगठनों ने एक दिन के लिए भारत बंद बुलाया था और उस समय कारोबार पर खासा असर पड़ा था। जिसके बाद अर्थव्यवस्था को बड़े नुकसान को उठाना पड़ा था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस बंद के बाद राज्य में रीटेल कारोबार ने 700 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया था, जिसमें एक बड़े नुकसान का रूप होटल और रेस्तां का था जिनके करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का दावा किया था। वहीं, जुलाई 2018 में देश में 8 दिनों तक ट्रक चालकों की हड़ताल रही। इसका भी सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था को हुआ।  बड़े रूप में ट्रक ना चलने से कामकाम ठप्प रहा और करीब 50 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।महज ट्रक की हड़ताल के चलते अर्थव्यवस्था को हर रोज करीब 6 से 7 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इससे साफ है कि एक दिन के भारत बंद से देश को करीब 25 से 30 हजार करोड़ का नुकसान होता है।

केन्द्र सरकार  का नुकसान

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष के लिए 12 करोड़ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत राजस्व का लक्ष्य रखा है। यानी जीएसटी के जरिए हर महीन सरकार का 1 लाख करोड़ की आमदनी का लक्ष्य है। जबकि बीते साल सरकार को जीएसटी से करीब 90 करोड़ का लाभ प्राप्त हुआ था। एक दिन के भारत बंद से अगर सरकार को जीएसटी का राजस्व प्राप्त ना हो तो करीब 3,333 करोड़ रुपये का बड़े रूप में नुकसान होगा। केंद्र सरकार के इस नुकसान का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

बंद को लेकर कोर्ट की चेतावनी

देश के बंद को लेकर साल 1997 में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि देश में बंद बुलाने से नागरिकों की आजादी पर और उनके कामकाज पर  बड़े रूप में असर पड़ता है। अगर विधायिका इस पर रोक के लिए कानून नहीं बनाती तो हमारा फर्ज है नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करें। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा था कि धरना प्रदर्शन और बंद के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए और पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए, जो भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, ऐसे नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए।

देश बंद के दौरान जबरदस्ती दुकानें और काम को बंद करवाया जाता है। इतना ही नहीं ये बंद हिंसक रूप भी लेता है गाड़ियों को आग के हवाले किया जाता है। ऐसे में देश को बड़े रूप में भारत बंद का नुकसान होता है।

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