राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ समान रूप से देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना चाहिएः डॉ. केशरी लाल वर्मा

By अनुभा जैन | Published: September 6, 2023 02:55 PM2023-09-06T14:55:04+5:302023-09-06T14:56:38+5:30

राइट टू एज्यूकेशन एक्ट और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात करते हुए शिक्षाविद डॉ. केशरी लाल वर्मा ने कहा कि युवाओं की प्रतिभा के सर्वोत्तम उपयोग के लिए नियमित नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कौशल आधारित व्यवसायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

benefits of National Education Policy should reach every person in the country equally Dr Keshari Lal Verma | राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ समान रूप से देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना चाहिएः डॉ. केशरी लाल वर्मा

डॉ. केशरी लाल वर्मा, कुलपति, छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय, नवी मुंबई (फाइल फोटो)

Highlightsराष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ समान रूप से देश के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए- डॉ. केशरी लाल वर्मासंस्थानों को अपने शिक्षकों/संरक्षकों को प्रशिक्षित और तैयार करना चाहिए - डॉ. केशरी लाल वर्माआदिवासियों, ग्रामीण, और वंचित वर्गों सहित हर स्तर पर विकास किया जाना चाहिए- डॉ. केशरी लाल वर्मा

नई दिल्ली: शिक्षा किसी भी समाज की संस्कृति और मानकों में उत्साहवर्धक सुधार लाती है। राइट टू एज्यूकेशन एक्ट और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से लागू किए गए महत्वपूर्ण परिवर्तनों के साथ, भारतीय शिक्षा ने वेदों-पुराणों और गुरुकुलों की शिक्षा से लेकर नए युग की हाई-टेक शिक्षा तक एक लंबा सफर तय किया है। राष्ट्रीय नीतियां शिक्षा प्रणालियों को अधिक समावेशी, नवोन्मेषी और लैंगिक न्यायसंगत बनाने का समर्थन करती हैं। शिक्षा में नवाचार एक नया चलन है जो प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देता है और सीखने में सुधार के लिए किसी भी समस्या को सरल लेकिन रचनात्मक तरीके से हल करता है।

इस संबंध में, डॉ. केशरी लाल वर्मा, कुलपति, छत्रपति शिवाजी महाराज विश्वविद्यालय, नवी मुंबई; पूर्व चेयरमैन, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय; पूर्व निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय; पूर्व कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)  ने बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर लोकमत की पत्रकार अनुभा जैन से बातचीत की।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान के अनुसार, भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है और स्थानीय भाषाओं में शिक्षण किया जाना चाहिए। एमओयू के माध्यम से उन्नति के पथ पर अग्रसर भारतीय शिक्षा संस्थान विदेशों में खुल रहे हैं। हमारे देश में भी विदेशों के समान स्तर की शिक्षा दी जानी चाहिए और आदिवासियों, ग्रामीण, और वंचित वर्गों सहित हर स्तर पर विकास किया जाना चाहिए।

बेरोजगारी के मुद्दे पर बात करते हुए डॉ. वर्मा ने कहा, “देश की आवश्यकता के अनुसार जिम्मेदार नागरिकों, नैतिक मूल्यों, अखंडता और ज्ञान वाले कुशल व्यक्तियों को तैयार किया जाना चाहिए।“ उन्होंने कहा कि संकुचित मानसिकता वाले लोगों ने शिक्षा को रोजगार से जोड़ दिया है। युवा अपने हितों को छोड़कर नौकरियों का वर्गीकरण करते हैं। अच्छी आय प्राप्त करने के बावजूद निम्न स्तर की नौकरियां उन्हें स्वीकार्य नहीं होती हैं। जबकि वे कम वेतन की परवाह किए बिना अपने लिए शिक्षा-आधारित व्यवसाय हासिल करना चाहते हैं।

डॉ. वर्मा ने आगे कहा कि युवाओं की प्रतिभा के सर्वोत्तम उपयोग के लिए नियमित नौकरियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कौशल आधारित व्यवसायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हर किसी में योग्यता होती है और उस क्षमता को विकसित करने की जरूरत है। भारत में युवा आबादी अधिक है और उन्हें अवसरों की जरूरत है। विदेशों में भारतीय युवा चमक रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने कौशल और प्रतिभा के माध्यम से वहां अच्छे मौके मिलते हैं।

लंबे समय से पुरानी विचारधारा में रचे-बसे शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति कैसी लगेगी, इस प्रश्न पर डॉ. वर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि देश भर के विशेषज्ञों से मंजूरी मिलने के बाद ही शिक्षा नीति स्वीकृत होती है। उस नीति के उचित कार्यान्वयन के लिए, संस्थानों को न केवल अपने शिक्षकों/संरक्षकों को प्रशिक्षित और तैयार करना चाहिए ताकि वे सही प्रकार की प्रथाओं से सुसज्जित हों, बल्कि उस नीति की आवश्यकता के अनुसार संस्थान, बुनियादी ढांचे में संशोधन और सुविधाएं भी प्रदान करे।उन्होंने सुझाव दिया कि केवल डिग्री प्राप्त करने के बजाय, शोधकर्ता का ध्यान ऐसे शोध कार्य पर केंद्रित होना चाहिए जो अंततः सकारात्मक बदलाव लाए और समाज के लिए फायदेमंद हो।

Web Title: benefits of National Education Policy should reach every person in the country equally Dr Keshari Lal Verma

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