पुलवामा हमला: खुद पाकिस्तान के इस प्रांत ने की अपने ही मुल्क की निंदा, कहा- हमारे मुद्दे उठाए, तो हम भी भारत के साथ
By नियति शर्मा | Published: February 18, 2019 07:19 PM2019-02-18T19:19:54+5:302019-02-18T19:19:54+5:30
बीएनसी ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करनी चाहिए क्योंकि इस्लामाबाद ने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर दिल्ली के खिलाफ छद्म युद्ध की घोषणा कर दी है।
बलूच नेशनल कांग्रेस (BNC) ने पुलवामा हमले में पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद संगठन की निंदा की है। 14 फरवरी को CRPF पर हुए घातक फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद तथा कई घायल हो गए थे। यह हमला सैनिकों के काफिले पर तब किया गया, जब वह जम्मू से कश्मीर जा रहे थे। इस हमले कि जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
इस घटना के बाद बलूचिस्तान नेशनल कांग्रेस ने भारतीय सरकार से आग्रह किया कि भारत को पाकिस्तान से सभी राजनायिक संबंधों को समाप्त कर देना चाहिए और बिना किसी देर के इस्लाबाद से भारतीय दूत को वापस बुला लेना चाहिए। साथ ही अपील की है कि भारत को दिल्ली से पाकिस्तानी दूत को वापस भेजा जाना चाहिए।
बीएनसी अध्यक्ष वाहिद बलूच ने अपने बयान में कहा कि "इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान का इस घटना में पूरी तरह से हाथ है। अपराधियों को सजा दी जानी चाहिए।" साथ ही बीएनसी ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करनी चाहिए क्योंकि इस्लामाबाद ने आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर दिल्ली के खिलाफ छद्म युद्ध की घोषणा कर दी है।
बलोच ने कहा, "अब समय आ गया है, जब पाकिस्तान को मानवता व मासूमों की हत्या करने के अपराधों का भुगतान करना होगा।" इसके अलावा, बीएनसी ने भारत सरकार से बलूच नेता खान कलात को निर्वासित करने के लिए अपील की है। इसके साथ ही पाकिस्तान के 'अवैध कब्जे' के खिलाफ हेग के इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में मामला दायर करने में मदद करने की अपील की।
क्या है बलूचिस्तान मामला?
1.23 करोड़ की जनसंख्या वाला बलूचिस्तान, पाकिस्तान के चार प्रांतो में से एक प्रांत है, जो कुल हिस्से के 44 प्रतिशत पर फैला हुआ है। यहां की अधिकांश जनसंख्या बलूच है, जबकि अन्य समुदायों में पश्तून शामिल है। पाकिस्तान पर आरोप है कि वह अपने ही एक प्रांत बलूचिस्तान के लोगों का शोषण करता है। पाकिस्तान की सिक्योरिटी फोर्स पर कई बलूच महिलाओं, बच्चों व पुरुषों को अवैध रूप से बंदी बनाने का आरोप है। सिक्योरिटी फोर्स पर कई बलूच नागरिकों की हत्या व महिलाओं के साथ रेप के आरोप लगे हैं। पाकिस्तान पर यहां मानवाधिकार हनन के भी आरोप कई बार सामने आए हैं।
बलूचिस्तान के लोग सांस्कृतिक व सामाजिक रूप से पाकिस्तान से पूर्ण रूप से अलग है। यह प्रांत पाकिस्तान के अन्य सूबों के मुकाबले काफी पिछडा हुआ है क्योंकि पाकिस्तान बलूच नागरिकों के विकास के लिए पुख्ता कदम नहीं उठाता है। बलूचिस्तान के लोगों को राजनीति के साथ आर्मी में भी प्रतिनिधित्व करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं है। बलूचिस्तान के लोग कई दशकों से स्वराज्य व स्वतंत्रता की मांग करते आए हैं, परंतु पाकिस्तान हमेशा ही बलूचिस्तानियों के साथ भेदभाव वाला रवैया अपनाता आया है।
यह प्रांत प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल, गैस और कॉपर से भरपूर है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था प्राकृतिक गैस भंडारों पर टिकी हुई है, बलूचिस्तान से प्राप्त गैस का अधिकतम उपयोग पाकिस्तान के लिए ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। इसके बाद भी बलूचिस्तान को हमेशा संसाधन राजस्व के असमान वितरण का सामना करना पडता है।
यह प्रांत अफगानिस्तान, ईरान से अपनी बॉर्डर साझा करता है। चीन-पाकिस्तान का आर्थिक गलियारा 'ग्वादर पोर्ट' भी इस प्रांत में ही है। यह परियोजना चीन द्वारा प्रारंभ की गई थी, लेकिन इस परियोजना से भी बलूचिस्तान को अलग-थलग ही रखा गया। बलूचिस्तान में साक्षरता का स्तर निम्न है। साफ-सफाई और स्वच्छ पानी की कमी है। मृत्यु-दर अधिक और बिजली की काफी समस्या है।
बलूचिस्तान का अपना 'बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी' ग्रुप है, जिसे पाकिस्तान ने आंतकी संगठन घोषित किया हुआ है। इस ग्रुप ने पाकिस्तानी सिक्योरिटी एजेंसी व पाकिस्तानी नागरिको पर कई बार हमले किए हैं। बलोच राष्ट्रवादियों का आरोप है कि पाकिस्तान, बलूचिस्तान के विकास पर ध्यान नहीं देता है और ऐसा कर वह बलूचिस्तान को दबा रहा है।
बलूचिस्तान कई दशकों से अंतराष्ट्रीय समर्थन की मांग करता आया है और पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में बलूचिस्तान के नागरिकों के मानवाधिकार हनन व उनकी पीड़ा के बारे में बात करके वैश्विक स्तर पर चुप्पी तोड़ी थी। यही कारण है कि बलूचिस्तान भारत को अपने सहयोगी की तरह देख रहा है और भविष्य में वह पाकिस्तानी के खिलाफ भारत की मदद करने को भी तैयार है।