पुण्यतिथिः बाल गंगाधर तिलक की क्रांतिकारी गतिविधियों से बौखला गए थे अंग्रेज, बर्मा की जेल में डलवाया
By रामदीप मिश्रा | Published: August 1, 2018 07:39 AM2018-08-01T07:39:05+5:302018-08-01T07:39:05+5:30
Bal Gangadhar Tilak Death Anniversary Special, Biography, Unknown Fact:बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को वर्तमान महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गांव चिखली में हुआ था। वह भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे।
नई दिल्ली, 31 जुलाईः भारत को पूर्ण स्वतंत्र कराने के लिए आवाज उठाने वाले बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेंजों से कहा था कि 'स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा।' ऐसे निडर स्वतंत्रता सेनानी की आज पुण्यतिथि है। उनका निधन आज के दिन यानि एक अगस्त, 1920 को बम्बई (अब मुंबई) में हो गया था। मरणोपरांत उनको दी जाने वाली श्रद्धांजलि में महात्मा गांधी ने कहा था कि वे आधुनिक भारत के निर्माता थे। जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रांति का जनक माना था।
महाराष्ट्र में हुआ था जन्म
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को वर्तमान महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गांव चिखली में हुआ था। वह भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे। आदर से उन्हें लोग "लोकमान्य" कहते थे। अपनी पढ़ाई-लिखाई के बाद उन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कालेजों में गणित पढ़ाया, लेकिन बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने लगे।
अंग्रेजी भाषा के घोर आलोचक थे
बताया जाता है कि तिलक ने अंग्रेजी की अच्छी शिक्षा ली थी। अंग्रेजी भाषा का अच्छा ज्ञान होने के बाद उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा की घोर आलोचक की। उनके अनुसार, अंग्रेजी शिक्षा भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है। इसीलिए उन्होंने दक्खन शिक्षा सोसायटी की स्थापना की जो भारत में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए बनाई गई।
हिन्दू राष्ट्रवाद के पक्षधर थे
भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 'गरम दल' या लाल-बाल-पाल के वे अहम सदस्य थे। तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल उस दौर में उनके प्रमुख साथी थे। इन्होंने मिलकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, जिसमें तिलक का प्रमुख योगदान उनके मराठी अखबार मराठी दर्पण ने निभाया। लेकिन, बाल गंगाधर तिलक हिन्दू राष्ट्रवाद के पक्षधर थे। उनकी आजादी की लड़ाई में उनके व्यक्तित्व का यह पक्ष काफी प्रभावी रहा।
इन किताबों के जरिए हिन्दू राष्ट्र का समझाया मतलब
तिलक ने श्रीमद्भगवद्गीता की व्याख्या गीता-रहस्य लिखी। इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। इसके अलावा उन्होंने वेद काल का निर्णय (The Orion), आर्यों का मूल निवास स्थान (The Arctic Home in the Vedas), वेदों का काल-निर्णय और वेदांग ज्योतिष (Vedic Chronology & Vedang Jyotish),हिन्दुत्व आदि किताबें लिखीं। इन किताबों और अपने इंग्लिश अखबार 'मराठा दर्पण' व मराठी अखबार 'केसरी' के माध्यम से उन्होंने भारत के लोगों को हिन्दू राष्ट्रवाद का मतलब समझाया।
अंग्रेजों ने बर्मा की जेल में भेजा
बताया जाता है कि तिलक ने अंग्रेजी सरकार की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन-भावना की बहुत आलोचना की है। उनकी मांग थी कि ब्रिटिश सरकार तुरंत भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। केसरी में प्रकाशित आपके आलेखों के कारण उनको कई बार जेल भी जाना पड़ा। तिलक की क्रांतिकारी गतिविधियों से अंग्रेज बौखला गए थे और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर छह वर्ष के लिए 'देश निकाला' दे दिया गया और बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया गया था। इसी समय तिलक ने गीता का अध्ययन किया था।
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