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बैजू बावरा की पुण्यतिथि पर ध्रुपद उत्सव का आयोजन, चंदेरी में समाधि पर दी गई स्वरांजलि, जानिए उनके बारे में

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 21, 2021 12:54 IST

महान ध्रुपद गायक बैजू बावरा का जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था।

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ठळक मुद्देअचलेश्वर महादेव मन्दिर फाउंडेशन की ओर से ध्रुपद उत्सव का आयोजनबैजू बावरा की मध्य प्रदेश के चंदेरी में स्थित समाधि पर विशेष आयोजनबैजू बावरा को 16वीं सदी के महान गायकों में गिना जाता है

भारत के महान ध्रुपद गायक बैजू बावरा की पुण्यतिथि के मौके पर सोनभद्र के अचलेश्वर महादेव मन्दिर फाउंडेशन की ओर से ध्रुपद उत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान बैजू बावरा की चंदेरी में स्थित समाधि पर कलाकारों और कला प्रेमियों की ओर से पुष्पांजलि अर्पित कर स्वरांजलि दी गई।

इस संगीत समारोह में ध्रुपद गायक अफजल ने अपनी प्रस्तुती रखी। उन्होंने राग भैरव से गायन आरंभ करते हुए दूसरी पेशकश राग गुर्जरी तोड़ी की रखी। इसमें उन्होंने मियां तानसेन की बंदिश ‘तेरा बल प्रताप' पेश की। इस मौसम के राग बसंत को गाया। उनके साथ पखावज पर हृदयेश चोपड़ा ने सरस और संतुलित संगत किया।

महोत्सव के निदेशक चन्द्र प्रकाश तिवारी ने बताया कि वर्ष 2016 में शुरू हुए इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बैजू बावरा और उनकी गायन परम्परा ध्रुपद जैसी विरासत को सहेजना और उसे विस्तार देना है। 

Baiji Bawra: बैजू बावरा को लेकर कही जाती हैं कई बातें

बैजू बावरा के जीवन को लेकर कई तरह की बातें बातें कही जाती हैं। कई लोग उन्हें मिथकीय नायक मानते हैं, तो वहीं कुछ तानसेन का समकालीन और कुछ लोग ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर के दरबारी कलाकार के रूप में देखते हैं। 

कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार बैजू बावरा का जन्म 16वीं में हुआ था। उनका मूल नाम बैजनाथ प्रसाद बताया जाता है। बसंत पंचमी के दिन उनका निधन हो गया था। मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी चंदेरी में उनकी समाधि मौजूद है। 

बहरहाल, चंद्र प्रकाश तिवारी और उनकी टीम इस विषय पर काम कर रही है कि बैजू के विषय में ठोस ऐतिहासिक जानकारी लोगों के सामने आ सके। इसलिए इस पर एक किताब की योजना भी बन रही है।

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