बाबरी केसः लालकृष्ण आडवाणी सहित सभी 32 आरोपी बरी, भाजपा नेता ने नारा भी लगाया- जय श्रीराम!

By प्रदीप द्विवेदी | Published: September 30, 2020 08:24 PM2020-09-30T20:24:56+5:302020-09-30T20:24:56+5:30

फैसला आने के बाद आडवाणी ने नारा भी लगाया- जय श्रीराम! याद रहे, उन्होंने राम जन्मभूमि पूजन के एक दिन पहले कहा था कि- जीवन के कुछ सपने पूरे होने में बहुत समय लेते हैं, लेकिन पूरे होते हैं, तो लगता है कि प्रतीक्षा सार्थक हुई.

babri masjid demolition case verdict Case All 32 accused including LK Advani acquitted BJP leader also raised slogan- Jai Shri Ram! | बाबरी केसः लालकृष्ण आडवाणी सहित सभी 32 आरोपी बरी, भाजपा नेता ने नारा भी लगाया- जय श्रीराम!

देश के लाखों लोगों तरह मैं भी अयोध्या में सुंदर राम मंदिर देखना चाहता हूं. (file photo)

Highlightsबीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.इस फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी का कहना था कि- यह हम सभी के लिए खुशी का पल है. निर्णय को लेकर उनका कहना था कि- आज जो निर्णय आया, वो अत्यंत महत्वपूर्ण है. हम सबके लिए खुशी का दिन है.

अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस प्रकरण में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को बीजेपी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी का कहना था कि- यह हम सभी के लिए खुशी का पल है.

कोर्ट के निर्णय ने मेरी और पार्टी की रामजन्मभूमि आंदोलन को लेकर प्रतिबद्धता और समर्पण को सही साबित किया है. फैसला आने के बाद आडवाणी ने नारा भी लगाया- जय श्रीराम! याद रहे, उन्होंने राम जन्मभूमि पूजन के एक दिन पहले कहा था कि- जीवन के कुछ सपने पूरे होने में बहुत समय लेते हैं, लेकिन पूरे होते हैं, तो लगता है कि प्रतीक्षा सार्थक हुई.

इस निर्णय को लेकर उनका कहना था कि- आज जो निर्णय आया, वो अत्यंत महत्वपूर्ण है. हम सबके लिए खुशी का दिन है. समाचार सुना, इसका स्वागत करते हैं. देश के लाखों लोगों तरह मैं भी अयोध्या में सुंदर राम मंदिर देखना चाहता हूं.

लालकृष्ण आडवाणी की प्रचलित कुंडली पर नजर डालें, तो जब 20वीं सदी में गुरु की उत्तम महादशा शुरू हुई तब उसने उन्हें धर्म-कर्म और राजनीतिक के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान दिलाया, लेकिन 21वीं सदी में गुरु की महादशा समाप्त होते ही, उनका सियासी पराक्रम कमजोर होने लगा. वे उप-प्रधानमंत्री तो बने, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं बन पाए.

यही नहीं, केन्द्र में बीजेपी की सत्ता आने के बावजूद न तो वे राष्ट्रपति बन पाए और न ही उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया! अब, सीबीआई कोर्ट के ताजा फैसले के बाद एक बार फिर बड़ा सवाल है कि- क्या उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया जाएगा?

बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठतम नेता लालकृष्ण आडवाणी की संपूर्ण भारत में तूती बोला करती थी, यही नहीं... उन्हें प्रधानमंत्री पद का सबसे प्रबल दावेदार समझा जाता था! तो, अचानक 2014 के बाद ऐसा क्या हुआ कि उन्हें भाजपा की मुख्यधारा से अघोषितरूप से अलग कर दिया गया? तमाम योग्यताओं और चर्चाओं के बावजूद 2014 के बाद राष्ट्रपति पद का चुनाव हुआ तो उनका नाम इसके संभावितों की सूची में भी नजर नहीं आया.

लालकृष्ण आडवाणी, जिन्होंने 1984 में मात्र दो सीटों पर आ गई भाजपा को नया जीवन दिया और सत्ता के केंद्र तक पहुंचाया, लेकिन तब के भाजपा के सर्वोच्च नेता देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंच पाए और अब भारतीय राजनीति ही नहीं, भाजपा की राजनीति में भी आप्रासंगिक से हो गए हैं.

ऐसा क्यों हुआ? इस पर चर्चा हमेशा चलती रहेगी लेकिन एक ही भूल और दो बड़े कारण दबी जबान से प्रमुखता से माने जाते हैं.

दो बड़े कारण हैं, पहला उनकी लोकप्रियता और दूसरा उनका राजनीतिक कद. एक समय ऐसा आ गया था कि लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता की बदौलत उनका का कद भाजपा ही नहीं तमाम सहयोगी संगठनों से बड़ा नजर आने लगा था, जाहिर है उनका यह सर्वोच्च स्वतंत्र नेतृत्व, नियंत्रण की राजनीति में स्वीकार नहीं होना था.

एक ही भूल, शायद भारतीय राजनीति में सर्वस्वीकार्य होने की चाहत में उन्होंने पाकिस्तान जाकर मुहम्मद अली जिन्ना के लिए जो कुछ कहा उसके बाद उनकी राजनीतिक पारी समाप्त हो गई. क्योंकि, कारण कुछ भी हो, भाजपा के प्रमुख सहयोगी संगठन ऐसे विचार किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं.

यहीं से लालकृष्ण आडवाणी के विकल्प की तलाश शुरू हुई जो नरेन्द्र मोदी पर जा कर खत्म हुई. चाहे जो हो, जो सफलतम राजनीतिक पारी लालकृष्ण आडवाणी ने खेली है उसे दोहराना और मिटाना असंभव है. वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी, तब से लेकर वर्ष 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे. इतना ही नहीं, वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला.

वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे, तो इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहे. वर्ष 1990 में श्रीराम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली.

हालांकि, आडवाणी को बीच में ही गिरफ्तार कर लिया गया पर इसके बाद तो उनका राजनीतिक कद और भी बड़ा हो गया. इस रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था. वर्ष 1992 में विवादित ढांचा ढहाया गया, उसके बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया, उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल था. अब उन्हें बरी कर दिया गया है.

लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. आपातकाल के बाद केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार कैबिनेट मंत्री की हैसियत से उन्होंने दायित्व संभाला और वे सूचना प्रसारण मंत्री रहे. वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमंत्री पद प्रदान किया गया.

इस वक्त गोचर का शनि, लालकृष्ण आडवाणी के पराक्रम भाव में है, तो वर्ष 2020-21-22 का वर्षफल भी उत्तम है, लिहाजा इस वक्त उनके सितारे बुलंद हैं. देखना दिलचस्प होगा कि लालकृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया जाएगा? या, उनके गुप्त विरोधी इस बार भी उन्हें सियासी तौर पर किनारे करने में कामयाब रहेंगे?

Web Title: babri masjid demolition case verdict Case All 32 accused including LK Advani acquitted BJP leader also raised slogan- Jai Shri Ram!

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