बाबरी विध्वंस केस: आडवाणी, जोशी व उमा भारती के मामले में फैसला सुनाने के लिए SC ने दी डेडलाइन
By अनुराग आनंद | Published: August 22, 2020 04:20 PM2020-08-22T16:20:11+5:302020-08-22T16:28:11+5:30
न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार यादव को फैसला सुनाने सहित कार्यवाही पूरी करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अन्य नेताओं के खिलाफ मामलों में फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर तक की समय सीमा सीबीआई के स्पेशल कोर्ट को दी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, SC ने 19 अगस्त को यह आदेश सुनाया था।
न्यूज 18 की मानें तो पीठ ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा था कि विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि कार्यवाहियां अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं।
Supreme Court extends deadline for a month, till September 30, for CBI trial court in Lucknow to pronounce its judgement on cases against senior BJP leaders L K Advani, Murali Manohar Joshi, Uma Bharti & other leaders in Babri Masjid demolition case. SC gave the order on Aug 19. pic.twitter.com/KdZgNRWeiP
— ANI (@ANI) August 22, 2020
लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मामले में दर्ज कराया अपना बयान-
बता दें कि 25 जुलाई 2020 को भाजपा के वयोवृद्ध नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले की सुनवायी कर रही सीबीआई की विशेष अदालत में शुक्रवार को अपना बयान दर्ज कराया। आडवाणी ने विवादित ढांचा गिराये जाने की साजिश में शामिल होने से इंकार किया है।
विशेष न्यायाधीश के समक्ष आडवाणी ने अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाये जाने के लिए 'कारसेवकों' के साथ कथित साजिश में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि राजनीतिक वजहों से उन्हें बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में अनावश्यक रूप से घसीटा जा रहा है।
खुद के निर्दोष होने का दावा करते हुए उन्होंने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश से कहा कि जांच राजनीतिक दबाव में हुई थी और आरोपपत्र मनगढंत साक्ष्यों के आधार पर दाखिल किया गया।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने लालकृष्ण आडवाणी से पूछे 1050 सवाल-
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस के यादव की अदालत में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सीआरपीसी की धारा—313 के तहत आडवाणी ने बयान दर्ज कराया। इस मामले में 92 वर्षीय आडवाणी 32 आरोपियों में से एक हैं।
वीडियो कांफ्रेंस के दौरान उनके वकील महिपाल अहलूवालिया मौजूद थे। सीबीआई की ओर से वकील ललित सिंह, पी चक्रवर्ती और आर के यादव मौजूद थे। आडवाणी का बयान पूर्वाह्र करीब 11 बजे दर्ज होना प्रारम्भ हुआ। इस दौरान न्यायाधीश ने उनसे 1050 सवाल किये। अन्य अभियुक्तों की तरह उनसे भी वही सवाल किये गये कि उनके खिलाफ मुकदमा क्यों चला। आडवाणी ने कहा कि राजनीतिक द्वेष के कारण झूठा मुकदमा चलाया गया। सीबीआई की विवेचना पर उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विवेचना राजनीतिक दुराग्रह से प्रेरित होकर की गयी।
गलत एवं झूठे साक्ष्य संकलित कर गलत रूप से उन्हें आरोपित किया गया। गौरतलब है कि सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आडवाणी को भी आरेापित किया था किन्तु इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें और कुछ अन्य को क्लीन चिट दे दी थी।