Ayodhya Verdict: जानें कौन हैं रामलला विराजमान, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दिया अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन का अधिकार

By अभिषेक पाण्डेय | Published: November 9, 2019 03:14 PM2019-11-09T15:14:05+5:302019-11-09T16:00:15+5:30

RamLalla Virajman: सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सुनाए अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन को रामलाल विराजमान को देने का फैसला सुनाया

Ayodhya Verdict: Who is Ram Lalla Virajman, Whom SC given Possession of Disputed Ayodhya Land | Ayodhya Verdict: जानें कौन हैं रामलला विराजमान, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दिया अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन का अधिकार

अयोध्या की 2.77 एकड़ की विवादित भूमि मामले में एक पक्ष रामलला विराजमान भी थे (तस्वीर: PTI)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन को रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनायासुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के एक और पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने शनिवार को सर्वसम्मति से अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित भूमि को इस मामले के तीन में से एक पक्षकार रहे रामलला विराजमान को देने का फैसला सुनाया। 

कोर्ट ने इस स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट का निर्माण करने का आदेश दिया। वहीं इस मामले के दूसरे पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी वैकल्पिक स्थान पर 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया गया। 

जानिए कौन हैं रामलला विराजमान, कैसे बने कानूनी व्यक्ति?

इस फैसले में आस्था और इतिहास के साथ ही दैव शिशु रामलला विराजमान की भी अहम भूमिका रही। दरअसल, कानून के मुताबिक, एक हिंदू देवता को 'कानूनी व्यक्ति' माना जा सकता है, जिसके पास मुकादमा दायर करने का अधिकार है और शीर्ष अदालत ने 6 अगस्त को इस मामले की सुनवाई रामलला को इस मामले से जुड़ा एक पक्ष मानते हुए ही की थी। 

अन्य हिंदू देवताओं की तरह ही अयोध्या के देवता (भगवान राम के बाल रूप) रामलला विराजमान को कानून के तहत सतत नाबालिग माना गया।

हिंदू देवता को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है

हिंदू देवता को कानूनी व्यक्ति मानने का विचार अद्भुत है। अंग्रेजी कानूनों को उलट, हिंदू देवता को अपना कानूनी व्यक्तित्व उपासकों की धर्मपरायणता से मिलता है। इस मामले में भगवान राम के बाल रूप का प्रतिनिधित्व उनके 'मानव' सखा त्रिलोकी नाथ पांडेय (वीएचपी के वरिष्ठ नेता) ने किया, जो इस मामले के वादियों में शामिल थे।
 
रामलला विराजमान इस मामले में पहली बार वादी केस के सिविल कोर्ट से हाई कोर्ट में जाने के दो साल बाद 1989 में बने थे। उस समय इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक पूर्व जज देवकी नंदन अग्रवाल ने जन्मस्थल विवाद के मामले में रामलला का 'सखा' बनने के लिए याचिका दाखिल की थी। उस समय वह वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष थे।
 
शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद पर अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद का निर्माण अयोध्या में किसी प्रमुख स्थल पर होना चाहिए और उस स्थान-  जहां हिंदुओं की आस्था है कि भगवान राम का जन्म हुआ-पर मंदिर के निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर सरकार द्वारा ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ जिसमें जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अब्दुल नजीर ने अयोध्या के 2.77 एकड़ विवादित भूमि का अधिकार देवता रामलला को देने का फैसला सुनाया, हालांकि इस पर कब्जा सरकारी रिसीवर का रहेगा।  

Web Title: Ayodhya Verdict: Who is Ram Lalla Virajman, Whom SC given Possession of Disputed Ayodhya Land

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