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'अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार की मांग करना दोहरा मानदंड, अब हिंदुओं और मुसलमानों को आगे बढ़ना चाहिए'

By भाषा | Updated: December 1, 2019 18:27 IST

श्री श्री रविशंकर ने कहा, “हां, मैं अयोध्या पर फैसले से खुश हूं। मैं 2003 से कह रहा हूं कि दोनों समुदाय इस पर काम कर सकते हैं...एक तरफ मंदिर बनाइए और दूसरी तरफ मस्जिद। लेकिन ये जिद की मस्जिद वहीं बनानी है, उसका कोई मतलब नहीं है।”

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ठळक मुद्देअयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने “दोहरा मानदंड” करार दिया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों को आगे बढ़ना चाहिए और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।

अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के खिलाफ अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के पुनर्विचार याचिका दायर करने के फैसले को आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने “दोहरा मानदंड” करार दिया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं और मुसलमानों को आगे बढ़ना चाहिए और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित मध्यस्थता समिति के सदस्य रहे आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि मामला काफी पहले सुलझा लिया गया होता, अगर एक पक्ष विवादित जगह पर मस्जिद बनाने पर न अड़ा रहता। भारत में मौजूदा आर्थिक संकट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।

श्री श्री रविशंकर ने कहा, “हां, मैं अयोध्या पर फैसले से खुश हूं। मैं 2003 से कह रहा हूं कि दोनों समुदाय इस पर काम कर सकते हैं...एक तरफ मंदिर बनाइए और दूसरी तरफ मस्जिद। लेकिन ये जिद की मस्जिद वहीं बनानी है, उसका कोई मतलब नहीं है।” श्री श्री शहर के नेताजी इंडोर स्टेडियम में लोगों को संबोधित करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने नए कार्यक्रम “व्यक्ति विकास से राष्ट्र विकास” की भी घोषणा की।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय के फैसले को “लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने के लिये बेहद अच्छा निर्णय” बताया। उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने नौ नवंबर को एकमत से अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करते हुए केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करे।

इस फैसले को लेकर एआईएमपीएलबी द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि किसी भी फैसले से सभी लोग खुश नहीं हो सकते। ‘द आर्ट ऑफ लीविंग फाउंडेशन’ के संस्थापक ने कहा, “स्वाभाविक है, हर किसी को एक फैसले से खुश नहीं किया जा सकता, अलग-अलग लोगों की अलग राय होती है...जो लोग फैसले पर पुनर्विचार के लिये योजना बना रहे हैं वही लोग पहले कह रहे थे कि वे उच्चतम न्यायालय के फैसले को स्वीकार करेंगे, उन्होंने अपना मन बदल लिया।”

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने पिछले हफ्ते कहा कि हाल के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका का मसौदा तैयार है और याचिका तीन या चार दिसंबर को दायर की जाएगी। एआईएमपीएलबी ने भी कहा है कि पुनर्विचार याचिका नौ दिसंबर से पहले दायर की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों संगठन इस मामले में दोहरा मानदंड अपना रहे हैं, श्री श्री ने कहा, “यह साफ है... पहले उन्होंने कहा था कि फैसला स्वीकार करेंगे भले ही यह उनके हितों के विपरीत हो। अब वे कुछ अलग कह रहे हैं।”

आध्यात्मिक गुरु (63) ने हालांकि जोर देकर कहा कि अयोध्या मामले को दो अन्य विवादित स्थलों वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि के साथ “नहीं मिलाया जाना” चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, “कई तरह की आवाजें आती रहती हैं, समाज में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। हमें अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी, शिक्षा, नौकरियों और बेरोजगारी पर ध्यान देना होगा। हमें यह देखना होगा कि कैसे ज्यादा उद्यमी बनाएं और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएं।” दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के खराब प्रदर्शन के बारे में श्री श्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिये हर तरफ से प्रयास होने चाहिए।

टॅग्स :अयोध्या फ़ैसलाराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामला
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