अयोध्या मामलाः तकदीर की वजह से ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा बने न्यायमूर्ति अशोक भूषण

By भाषा | Published: November 9, 2019 06:27 PM2019-11-09T18:27:08+5:302019-11-09T18:29:24+5:30

न्यायमूर्ति भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर तब इस पीठ में शामिल हुए जब कुछ वादकारों की आपत्तियों के मद्देनजर न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति यू यू ललित ने राजनीतिक तौर पर संवेदनशील इस मुद्दे की सुनवाई से हटने का फैसला किया।

Ayodhya Verdict: Justice Bhushan became a part of the historic decision because of the fate | अयोध्या मामलाः तकदीर की वजह से ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा बने न्यायमूर्ति अशोक भूषण

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे इस महीने की 17 तारीख को सेवानिवृत्त होने जा रहे न्यायमूर्ति गोगोई की जगह लेंगे।

Highlightsन्यायमूर्ति रमण और न्यायमूर्ति यू यू ललित के भविष्य में भारत का प्रधान न्यायाधीश बनने की संभावना है।गोगोई ने न्यायाधीशों की एक पीठ बनाई थी जो वरिष्ठता के आधार पर भविष्य में प्रधान न्यायाधीश बनते।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण अयोध्या मामले पर सुनवाई के लिये शुरुआत में गठित पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य नहीं थे लेकिन अपनी तकदीर की वजह से वह इस ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा बने क्योंकि शीर्ष अदालत के दो वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसके बाद उन्हें पीठ में शामिल किया गया।

न्यायमूर्ति भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर तब इस पीठ में शामिल हुए जब कुछ वादकारों की आपत्तियों के मद्देनजर न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति यू यू ललित ने राजनीतिक तौर पर संवेदनशील इस मुद्दे की सुनवाई से हटने का फैसला किया।

न्यायमूर्ति रमण और न्यायमूर्ति यू यू ललित के भविष्य में भारत का प्रधान न्यायाधीश बनने की संभावना है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने न्यायाधीशों की एक पीठ बनाई थी जो वरिष्ठता के आधार पर भविष्य में प्रधान न्यायाधीश बनते।

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे इस महीने की 17 तारीख को सेवानिवृत्त होने जा रहे न्यायमूर्ति गोगोई की जगह लेंगे। वहीं, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ नौ नवंबर, 2022 से 10 नवंबर, 2024 तक प्रधान न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। न्यायमूर्ति भूषण 27 सितंबर 2018 को शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनाए गए उस फैसले का हिस्सा थे जिसने इस्माइल फारुखी मामले में 1994 में उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले को पुनर्विचार के लिये पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था।

इस फैसले ने अयोध्या मामले में नियमित सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया था। 1994 के फैसले में कहा गया था कि इस्लाम में नमाज अदा करने के लिये मस्जिद अनिवार्य नहीं है । उस फैसले को संविधान पीठ के पास भेजने का मामला तब उठा था जब पीठ अयोध्या मामले पर सुनवाई कर रही थी। उस समय मुस्लिम पक्षों ने मांग की थी कि उच्चतम न्यायालय पहले इस्माइल फारुखी मामले में दिये गए फैसले को पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष रखे।

न्यायमूर्ति भूषण ने अपनी और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की तरफ से लिखे गए फैसले में मुस्लिम पक्षों के अनुरोध को खारिज कर दिया था हालांकि, न्यायमूर्ति नजीर ने उन दोनों की राय से असहमति जताई थी। अयोध्या मामले के अलावा न्यायमूर्ति भूषण ने कई अहम फैसले लिखे हैं। उनमें आधार पर कानून को बरकरार रखना, आधार को पैन से जोड़ना और सीजेआई ‘कार्य आवंटन के मामले में सर्वेसर्वा होने’ से संबंधित फैसले शामिल हैं।

अयोध्या मामले के अलावा न्यायमूर्ति भूषण न्यायमूर्ति ए के सीकरी के साथ उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने आधार को पैन कार्ड से जोड़ने की केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकायें खारिज कर दी थीं। न्यायमूर्ति भूषण केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता के संघर्ष का निपटारा करने वाली पीठ का भी वह हिस्सा थे।

पीठ ने कुछ अधिकार केंद्र को और कुछ दिल्ली सरकार को दिये थे। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली के खिलाफ तत्कालीन न्यायाधीश जे चेलमेश्वर की अगुवाई में उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस वार्ता के परिप्रेक्ष्य में प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक अधिकार जैसे अहम मुद्दे पर भी सुनवाई की।

उस प्रेस कांफ्रेंस में न्यायमूर्ति गोगोई भी मौजूद थे । पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति भूषण ने कहा था कि भारत का प्रधान न्यायाधीश कार्य आवंटन में सर्वेसर्वा, न्यायपालिका का मुखिया और प्रवक्ता है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में 1956 में जन्मे न्यायमूर्ति भूषण ने 1979 से वकालत शुरू की और 2001 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने । वह 13 मई 2016 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने। 

Web Title: Ayodhya Verdict: Justice Bhushan became a part of the historic decision because of the fate

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे