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अयोध्या आज से अभेद्य किले में तब्दील, सीमाएं सील, 45 साल से कम उम्र के सुरक्षाकर्मियों की होगी तैनात

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 3, 2020 06:51 IST

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमिपूजन का कार्यक्रम है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं. अयोध्या में अब तैयारी लगभग अंतिम चरण में है और सुरक्षा व्यवस्था को बेहद पुख्ता किया गया है.

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ठळक मुद्देअयोध्या में भूमिपूजन के लिए सुरक्षा चाक-चौबंद, आज योगी आदित्यनाथ अयोध्या पहुंचकर लेंगे जायजाकोविड संक्रमण को देखते हुए 45 साल से कम उम्र के सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे, भूमिपूजन के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी न्योता

त्रियुग नारायण तिवारी

अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन के लिए पूरे नगर को एक अभेद्य किले में बदलने की तैयारी है. सोमवार को नगर की सीमाएं सील कर दी जाएंगी. वहीं, सुरक्षा के लिए भारी भरकम फोर्स तैनात की जाएगी. चार और पांच अगस्त को अयोध्या की सुरक्षा में 3500 पुलिसकर्मी, 40 कंपनी पीएसी, 10 कंपनी आरएएफ, दो डीआईजी व 8 पुलिस अधीक्षक तैनात रहेंगे.

सुरक्षा की कमान एडीजी कानून-व्यवस्था संभालेंगे. कोविड-19 संक्रमण के कारण सुरक्षा-व्यवस्था में 45 साल से कम उम्र के सुरक्षकर्मी ही तैनात किए जाएंगे. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी के मद्देनजर अयोध्या राजमार्ग भी 4-5 अगस्त को बंद किया जा सकता है.

वहीं, तैयारियों को परखने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी 3 अगस्त को अयोध्या का दौरा करेंगे, जहां वह व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे. मुख्यमंत्री योगी रविवार को ही अयोध्या आने वाले थे लेकिन कोविड-19 संक्रमण के कारण कैबिनेट मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के बाद उन्होंने दौरा स्थगित कर दिया.

कांग्रेस ने किया राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के सभी निर्णयों का समर्थन 

कांग्रेस ने अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर के लिए गठित ट्रस्ट के सभी निर्णयों के समर्थन की घोषणा की है. कोविड-19 संकटकाल में राम मंदिर के भूमिपूजन में शामिल होने वाले लोगों और भाजपा-संघ के बुजुर्ग नेताओं के सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरिगल ने कहा, ''कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करती है. राम मंदिर करोड़ों हिंदुस्तानियों की आस्था से जुड़ा है, उसके निर्माण का भी स्वागत करती है.''

उन्होंने कहा, ''राम मंदिर के लिए जो भूमिपूजन हो रहा है, इसमें कौन हिस्सा लेगा, कौन नहीं लेगा, यह निर्णय सिर्फ ट्रस्ट का है. जो निर्णय लेंगे, हम उसका समर्थन करते हैं. जो ट्रस्ट का निर्णय है और जिस भी व्यक्ति को इसमें शामिल होना है और नहीं होना है, ये उनका निर्णय है. बता दें कि समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी राम मंदिर को लेकर कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है.

अयोध्या में दिखेगी गंगा-जमुनी तहजीब 

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमिपूजन ही नहीं होगा बल्कि सौहार्द मंच भी सजेगा. भूमिपूजन के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को न्योता भेजा गया है. राम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूखी, अयोध्या के समाजसेवी पद्मश्री मोहम्मद शरीफ, बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी आमंत्रित लोगों की सूची में शामिल हैं.

बता दें कि इकबाल अंसारी के पिता हातिम अंसारी न सिर्फ बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार थे बल्कि राम मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे रामचंद्र परमहंस के करीबी दोस्त भी थे और दोनों के बीच दोस्ती भी ऐसी कि मुकदमा लड़ने भी साथ जाया करते थे.

वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तो मस्जिद के पक्ष में शुरुआत से ही था और राम मंदिर के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा था. बावजूद इसके सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूखी को राम मंदिर भूमिपूजन के लिए अतिथियों की सूची में शामिल किया गया है.

इससे पहले इकबाल अंसारी और यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा था कि वे निमंत्रण स्वीकार करेंगे और 5 अगस्त को भव्य समारोह में शिरकत करेंगे. मोहम्मद शरीफ को केंद्र सरकार ने 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया था.

मोहम्मद शरीफ अब तक 5000 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. सूत्रों की मानें तो राम मंदिर के भूमिपूजन में सभी धर्मों, पंथों, सनातन धर्म के शंकराचायार्य के अलावा सूफी संप्रदायों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है. इनमें ईसाई, जैन, सिख, मुस्लिम, बौद्ध धर्म के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. इन सभी को फोन से न्योता दिया गया है.

पूरी अयोध्या को ओढ़ाई जा रही पीतांबरी 

सैकड़ों वर्षों की तपस्या व लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की बेला निकट आते ही अयोध्या ही नहीं, वरन पूरे विश्व का हिंदू समाज आनंदित है. 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के शुरुआत की नींव रखी जाएगी, इस दौरान भूमिपूजन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे.

इसे लेकर अयोध्या को भव्य व दिव्य बनाया जा रहा है. इसके लिए अयोध्या नगरी को पीतांबरी ओढ़ाई जा रही है, भूमिपूजन से पहले अयोध्या नगरी को पीले रंग में रंगकर शुभता का संदेश दिया जा रहा है.

भारतीय शास्त्र व ज्योतिष में भी पीले रंग को खास महत्व दिया गया है. पीले रंग का संबंध गुरु बृहस्पति से भी माना गया है. यह सूर्य के चमकदार हिस्से वाला रंग है. यह मुख्य रंगों का हिस्सा है और जो स्वभाव से ऊर्जा पैदा करने वाला होता है.

पीले रंग का क्या है महत्व

मान्यता है कि पीला रंग जीवन में शुभता लाता है. मन को उत्साहित करके नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है, इस रंग के प्रयोग से ज्ञान प्राप्ति में सुविधा होती है. इन सभी तथ्यों व धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखकर नगर निगम अयोध्या ने भूमिपूजन से पहले धर्मनगरी को पीले रंग से रंगने का निश्चय किया.

अयोध्या के साकेत महाविद्यालय से लेकर सरयू तट तक दोनों ओर के हिस्से को पीले रंग से रंगा जा रहा है. नगर निगम के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय कहते हैं कि किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य में पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है. पूजा-पाठ में भी पीला रंग शुभ माना जाता है. आज जब अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत होने जा रही है तो ऐसे में चारों तरफ शुभ ही शुभ हो. इसके लिए धर्मनगरी अयोध्या को पीतांबरी ओढ़ाई जा रही है.

अयोध्या को पीले रंग में रंगना, शुभ ही शुभ बड़ी यज्ञवेदी के यामुनाचार्य जी महराज पीले रंग की महत्ता बताते हुए कहते हैं कि हिंदू धर्म में पीले रंग को शुभता का प्रतीक माना गया है. हम चावल में हल्दी मिलाकर अक्षत बनाते हैं तो किसी शुभ कार्य में पीली धोती या पीतांबरी धारण करते हैं. अक्सर हमारे यहां शुभ कार्य में पीली धोती न होने पर सफेद धोती में हल्दी लगाकर उसे पीला स्वरूप देने का प्रयास किया जाता है.

विद्याशंकर जी महराज व आचार्य देवनाथ पांडेय कहते हैं कि जिस तरह किसी शुभ कार्य के दौरान लोग पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं, पूजन की शुरुआत में हल्दी व पीले चंदन का प्रयोग किया जाता है, उसी तरह अयोध्या नगरी में हो रहे भूमिपूजन कार्यक्र म की शुरुआत में पूरी अयोध्या को शुभ पीले रंग से रंगकर पूरे कार्यक्रम को शुभ ही शुभ बनाया जा रहा है. 

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