बेहद खतरनाक होगा मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 5, 2018 09:33 AM2018-11-05T09:33:40+5:302018-11-05T09:33:40+5:30

आगामी लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन वे संगठन दरअसल क्या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है.

Ayodhya Ram Mandir - Babri Masjid Case: The dangerous situation like 1992 national movement says muslim personal law board | बेहद खतरनाक होगा मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन

बेहद खतरनाक होगा मंदिर निर्माण के लिए 1992 जैसा आंदोलन

लखनऊ, 05 नवंबर। एजेंसी ऑल इंडिया  मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए वर्ष 1992 जैसा ही आंदोलन शुरू करने के राष्­ट्रीय स्­वयं सेवक संघ के इरादे को मुल्­क के लिए बेहद खतरनाक बताते हुए आज कहा कि मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं. एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हिं­दूवादी संगठनों द्वारा अचानक तेज की गई गतिविधियों के बारे में कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण को लेकर तथाकथित हिंदूवादी संगठनों में बेचैनी का सवाल है, तो साफ जाहिर है कि यह सियासी है. आगामी लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन वे संगठन दरअसल क्­या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है.

मंदिर निर्माण के लिए वर्ष 1992 जैसा व्­यापक आंदोलन छेड़ने के संघ के इशारे के बारे में रहमानी ने कहा कि संघ अगर आंदोलन शुरू करता है तो यह बहुत खतरनाक होगा. इससे मुल्­क में अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाएगा. विश्­व हिं­दू परिषद, अंतरराष्­ट्रीय हिं­दू परिषद समेत तमाम हिं­दूवादी संगठनों और साधु-संतों द्वारा मंदिर निर्माण के लिए अध्­यादेश लाने या कानून बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाए जाने के बारे में मौलाना रहमानी ने कहा कि सरकार क्­या करेगी और उसके क्­या नतीजे होंगे, यह नहीं कहा जा सकता.हालांकि उन्­होंने यह भी कहा कि हाल में सेवानिवृत्त हुए न्­यायमूर्ति जे. चेलमेश्­वर ने चंद दिन पहले मुं­बई में एक कार्यक्रम में कहा था कि मंदिर निर्माण को लेकर अध्­यादेश लाना या संसद से कानून पारित कराया जाना नामुमकिन नहीं है. कोर्ट का निर्णय मानेंगे बोर्ड का शुरू से ही स्­पष्­ट नजरिया है कि आपसी सहमति से मसला हल करने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद वह अयोध्­या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ही मानेगा. जमीयत उलमा-ए-हिंद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्­यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा कि मामला अदालत में है इसलिए सभी को सब्र से काम लेते हुए अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए. उसका जो भी निर्णय हो, उसे कुबूल करना चाहिए. मुल्­क में अमन और सलामती इसी तरह रहेगी.

Web Title: Ayodhya Ram Mandir - Babri Masjid Case: The dangerous situation like 1992 national movement says muslim personal law board

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