पटना:अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भूमि पूजन के दौरान पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति की ओर सवा लाख 'रघुपति लड्डुओं' का भोग लगाया गया. इनमें से 51 हजार लड्डू जन्मभूमि ट्रस्ट को भेंट कर दिए गये. इसके अलावा अयोध्या में भी श्रद्धालुओं के बीच लड्डू बांटे गये. शेष लड्डू बिहार के 100 मंदिरों में वितरित किये जा रहे हैं.
यह मंदिर उस मार्ग के हैं, जहां त्रेताकाल में भगवान श्रीराम के चरण पडे थे. बिहार में बक्सर से लेकर सीतामढी तक के मंदिरों में रघुपति लड्डू का वितरण किया जा रहा है.
पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का कहना है कि महावीर मंदिर की ओर से तिरुपति के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा विशेष तौर शुद्ध घी और बेसन से बने 'रघुपति लड्डू' का निर्माण किया गया है. भूमि पूजन में भगवान को अर्पित किये जाने के बाद सात अगस्त से लड्डू पटना के महावीर मंदिर में भी वितरित किए जाएंगे. यह वितरण मुफ्त होगा.
महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने बताया कि इस लड्डू की शुद्धता और अलग स्वाद ने लोगों को दीवाना बना रखा है. प्रसाद तो है ही मगर इसका स्वाद जो एक बार ले, वो बार बार इस प्रसाद का सेवन किए बगैर खुद को नहीं रोक पाता है. पिछले वर्ष 25 करोड़ के ये लड्डू बिके और मुनाफा 9 करोड़ हुआ, जिससे कई सामाजिक कार्य होते हैं.
अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर आज बुधवार को पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर को भी भव्य तरीके से सजाया गया है. यहां पर भी आज दीपोत्सव का आयोजन किया गया है. इसके अलावा राजधानी के अन्य मंदिरों में भी दीप जलाए जा रहे हैं.
आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पूरे देश में पटना के हनुमान जी की जय जयकार हो रही है. पटना के महावीर मंदिर की खूब ख्याति है. दशकों से देशभर के श्रद्धालु अगर पटना पहुंचते हैं तो इस मंदिर का रुख जरूर करते हैं.
साल 1992 में इस मंदिर में तिरुपति के तर्ज पर नैवेद्यम प्रसाद की शुरुआत हुई. 50 ग्राम, 100 ग्राम और 200 ग्राम के लड्डू बनते हैं. हर रोज करीब 2000 से 2500 किलो लड्डू तैयार होते हैं. 200 किलो दाल, 250 किलो चीनी, 12 किलो काजू, 7 किलो किशमिश और डेढ किलो इलायची एक बर्तन में इन सामग्रियों के साथ 600 किलो लड्डू तैयार किए जाते हैं.
इसकी कीमत 264 रुपये प्रति किलो है. जैसे-जैसे इस लड्डू की मांग बढ़ी पटना में इसका कारखाना शुरू हुआ. तिरुपति से यहां कारीगर आए और फिर यहां इस खास प्रसाद के बनने का सिलसिला शुरू हुआ. इस मेगा किचन में मिल से मशीन तक सब कुछ है. दाल की पिसाई होती है, एक साथ कई बडे चूल्हे पर बूंदी शुद्ध घी में छाना जाती है.
इसको बनाने की खास विधि है. पहले दाल पीसते हैं, फिर बूंदी बनती है. इसके लिए घी बैंगलोर से आता है. चीनी के घोल में बूंदी डालते हैं. मशीन में सब मिलाते हैं. वहां से प्लेटफॉर्म पर ले जाकर इसे साइज के अनुसार बनाते हैं. इस कारखाने में 50 लोग जुटे होते हैं.