नई दिल्ली, 15 मार्च; सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 14 मार्च को अयोध्या जमीन विवाद से जुड़ी कुछ याचिकाओं को खारिज किया है। जो याचिका ऑरिजिनल वादियों और प्रतिवादियों की ओर से दायर की गई थी। कोर्ट का कहना है कि वह सिर्फ ऑरिजिनल पिटिशनर्स पर ही विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जिन याचिकाओं को खारिज किया है, उनमें बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी की भी याचिका शामिल है। जिसमें कहा गया था कि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर संपत्ति विवाद में दखल की कोशिश की गई है। ऐसे में सुनवाई के बावजूद अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने में काफी विलंब हो सकता है। जिसकी कुछ अहम वजह ये है...
- सुप्रीम कोर्ट में बुधवार के हुए फैसले के मुताबिक सबसे पहले वह सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका पर विचार करेगा। जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा था कि रूलिंग में अयोध्या में विवादित जमीन पर उसके साथ पक्षपातपूर्ण' बर्ताव किया गया। कोर्ट के इस विचार का मतलब है कि अयोध्या में जमीन विवाद के मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई कुछ महीनों बाद होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में साफ किया था कि 1994 में रूलिंग का जमीन पर मालिकाना हक से जुड़े मामले को उनके मुवक्किल का दावा कमजोर करने के लिए किया गया था। हालांकि उस वक्त इस मामले पर विचार करने की बात को खारिज कर दिया गया था। लेकिन 14 मार्च को हुई सुनवाई में यह फैसला लिया गया है कि कोर्ट 1994 की रूलिंग को एक बड़ी बेंच के पास भेजा या ना इसका फैसला करेगी।
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच हिंदू और मुस्लिम पक्षों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। हिंदू और मुस्लिम पक्षों ने 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया था। जिसमें अयोध्या के विवादित जमीनों को बांटने की बात कही गई थी।