अयोध्या विवादः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 250 साल पुराना मामला, कब तक आपको समय चाहिए, ऐसे तो बहस दिवाली बाद भी चलती रहेगी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 15, 2019 05:32 PM2019-10-15T17:32:16+5:302019-10-15T17:32:16+5:30

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण करके मुगल शासक बाबर द्वारा की गयी ‘ऐतिहासिक भूल’ को अब सुधारने की आवश्यकता है।

Ayodhya dispute: Supreme Court said- 250 years old matter, how long do you need time, the debate will continue even after Diwali | अयोध्या विवादः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 250 साल पुराना मामला, कब तक आपको समय चाहिए, ऐसे तो बहस दिवाली बाद भी चलती रहेगी

क्या मुस्लिम अयोध्या में कथित मस्जिद छह दिसंबर, 1992 को ढहाये जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं?

Highlightsवरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने कहा कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते।अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किये जाने से संबंधित अनेक सवाल किये।

राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई अब अंतिम दौर में है। संविधान पीठ अयोध्या विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर मंगलवार को 39वें दिन भी सुनवाई कर रही थी।

अब सुनवाई के तीन दिन ही बाकी है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 250 साल पुराना मामला, कब तक आपको समय चाहिए, ऐसे तो बहस दीपावली बाद भी चलती रहेगी। राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुनवाई के दौरान मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्ष ने दलील दी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण करके मुगल शासक बाबर द्वारा की गयी ‘ऐतिहासिक भूल’ को अब सुधारने की आवश्यकता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने कहा कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते। सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य के वाद में प्रतिवादी महंत सुरेश दास की ओर से बहस करते हुये परासरन ने कहा कि सम्राट बाबर ने भारत पर जीत हासिल की और उन्होंने खुद को कानून से ऊपर रखते हुये भगवान राम के जन्म स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करके ऐतिहासिक भूल की।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे़, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ ने परासरन से परिसीमा के कानून, विपरीत कब्जे के सिद्धांत और अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि से मुस्लिमों को बेदखल किये जाने से संबंधित अनेक सवाल किये।

पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या मुस्लिम अयोध्या में कथित मस्जिद छह दिसंबर, 1992 को ढहाये जाने के बाद भी विवादित संपत्ति के बारे में डिक्री की मांग कर सकते हैं? पीठ ने परासरन से कहा, ‘‘वे कहते हैं, एक बार मस्जिद है तो हमेशा ही मस्जिद है, क्या आप इसका समर्थन करते हैं।’’ इस पर परासरन ने कहा, ‘‘नहीं, मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं कहूंगा कि एक बार मंदिर है तो हमेशा ही मंदिर रहेगा।’’ पीठ ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार यह दलील दे रहे हैं कि संपत्ति के लिये वे डिक्री का अनुरोध कर सकते हैं भले ही विवाद का केन्द्र भवन इस समय अस्तित्व में नहीं हो।

पीठ द्वारा परासरन से अनेक सवाल पूछे जाने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘धवन जी, क्या हम हिन्दू पक्षकारों से भी पर्याप्त संख्या में सवाल पूछ रहे हैं?’’ प्रधान न्यायाधीश की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण थी क्योंकि मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सोमवार को आरोप लगाया था कि सवाल सिर्फ उनसे ही किये जा रहे हैं और हिन्दू पक्ष से सवाल नहीं किये गये।

 

 

Web Title: Ayodhya dispute: Supreme Court said- 250 years old matter, how long do you need time, the debate will continue even after Diwali

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