मोहन भावगत ने कहा- नेशनलिज्म न कहो क्योंकि इसका मतलब होता है हिटलर, नाजीवाद, फासीवाद, पाक पीएम इमरान खान फैला रहे भ्रम
By भाषा | Published: February 20, 2020 08:02 PM2020-02-20T20:02:30+5:302020-02-20T20:02:30+5:30
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भावगत ने कहा, ‘‘हिंदू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई और काम नहीं है। यह भ्रम फैलाया जाता है कि संघ देश के सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है। ऐसा कई लोग कहते हैं। इमरान खान भी कहते हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भावगत ने गुरुवार को कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि संघ देश के सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है व इस तरह के भ्रम फैलाने वालों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी शामिल हैं।
भागवत ने यहां मोरहाबादी स्थित डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के फुटबाल मैदान में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए यह बात कही। संघ प्रमुख फिलहाल चार दिवस के रांची प्रवास पर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई और काम नहीं है। यह भ्रम फैलाया जाता है कि संघ देश के सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है। ऐसा कई लोग कहते हैं। इमरान खान भी कहते हैं।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने विभिन्न मंचों से भारत सरकार के इस निर्णय का विरोध हुए नरेन्द्र मोदी सरकार पर आरएसएस के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया था। भागवत ने अपनी ब्रिटेन यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व में ‘‘‘राष्ट्रवाद’ को अच्छे अर्थ में नहीं लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘ अंग्रेजी आपकी भाषा नहीं है और आप जो पुस्तक में पढ़ें हैं उसके अनुसार बोलेंगे परन्तु बातचीत में शब्दों के अर्थ भिन्न हो जाते हैं। इसलिए आप नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद), इस शब्द का उपयोग न कीजिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप नेशन (राष्ट्र) कहेंगे, चलेगा, नेशनल (राष्ट्रीय) कहेंगे, चलेगा, नेशनलिटी (राष्ट्रिक) कहेंगे, चलेगा। नेशनलिज्म न कहो क्योंकि नेशनलिज्म का मतलब होता है हिटलर, नाजीवाद, फासीवाद। समाज में ऐसे ही शब्दों का बदलाव हुआ है।’’
भागवत ने कहा, ‘‘ आज दुनिया को हमारी (भारत की) जरूरत है। दुनिया में कई देश बड़े बने और उनका पतन हो गया। आज भी बड़े देश हैं, जिन्हें महाशक्ति कहा जाता है। ये देश महाशक्ति बनकर दुनिया के साधनों का स्वंय के लिए उपयोग करते हैं। लेकिन भारत की संस्कृति, हिन्दू संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में विश्वास रखने वाली है।’’ उन्होंने कहा कि त्याग, बलिदान एवं संयम भारतीय संस्कृति है और भारतीय संस्कृति, हिन्दू संस्कृति है।