अरुंधति राय ने भारत को पीछे की ओर उड़ता विमान बताया, कहा- सब कुछ गिर रहा और हम दुर्घटना की ओर बढ़ रहे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 5, 2022 10:36 AM2022-05-05T10:36:10+5:302022-05-05T12:25:23+5:30

लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि 1960 के दशक में संपत्ति और भूमि के पुनर्वितरण का ‘वास्तविक क्रांतिकारी आंदोलन’ के बाद नेता अब पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम नमक बांटने के नाम पर वोट चाहते हैं और चुनाव जीत रहे हैं।

author-arundhati-roy india plane heading towards crash | अरुंधति राय ने भारत को पीछे की ओर उड़ता विमान बताया, कहा- सब कुछ गिर रहा और हम दुर्घटना की ओर बढ़ रहे

अरुंधति राय ने भारत को पीछे की ओर उड़ता विमान बताया, कहा- सब कुछ गिर रहा और हम दुर्घटना की ओर बढ़ रहे

Highlightsराय ने यह टिप्पणी ‘वाई डू यू फियर माइ वे सो मच’ शीर्षक से प्रकाशित किताब के लोकार्पण के अवसर पर की।इस किताब में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता जीएन साईबाबा की कविताओं और पत्रों का संकलन है।62 वर्षीय लेखिका ने भारत को परिष्कृत न्यायशास्त्र की भूमि करार दिया।

नई दिल्ली: बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय ने भारत की तुलना ऐसे विमान से की जो पीछे की ओर उड़ान भर रहा है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा विमान है जो ‘‘दुर्घटना’’ की ओर बढ़ रहा है।

राय ने यह टिप्पणी ‘वाई डू यू फियर माइ वे सो मच’ शीर्षक से प्रकाशित किताब के लोकार्पण के अवसर पर की। इस किताब में जेल में बंद जीएन साईबाबा की कविताओं और पत्रों का संकलन है।

अदालत ने जीएन साईबाबा और अन्य को आतंकवाद रोधी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी ठहराया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में उनकी सेवाएं पिछले साल 31 मार्च से समाप्त कर दी गई थीं।

बेस्टसेलिंग उपन्यासों 'द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' और 'द मिनिस्ट्री ऑफ अटमोस्ट हैप्पीनेस' की लेखिका रॉय ने कहा कि 1960 के दशक में संपत्ति और भूमि के पुनर्वितरण का ‘वास्तविक क्रांतिकारी आंदोलन’ के बाद नेता अब पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम नमक बांटने के नाम पर वोट चाहते हैं और चुनाव जीत रहे हैं।

राय ने कहा, ‘‘हाल में मैंने अपने एक पायलट मित्र से सवाल किया ‘ क्या वह विमान को पीछे की ओर उड़ा सकते हैं?। वह जोर से हंसा। मैंने तब कहा वास्तव में ऐसा ही यहां हो रहा है जहां पर नेता इस देश को पीछे की ओर उड़ा रहे हैं, सब कुछ गिर रहा है और हम दुर्घटना की ओर बढ़ रहे हैं।’’

62 वर्षीय लेखिका ने भारत को परिष्कृत न्यायशास्त्र की भूमि बताया,  जहां आपकी जाति, वर्ग, लिंग और नस्लीयता के आधार पर कानूनों को अलग-अलग तरीके से लागू किया जाता है।

उन्होंने कहा कि आज हम यहाँ क्या कर रहे हैं? हम एक ऐसे प्रोफेसर के बारे में बात करने के लिए मिल रहे हैं जो 90 प्रतिशत लकवाग्रस्त है और सात साल से जेल में है। हम यही कर रहे हैं। वह पर्याप्त है। हमें अब और नहीं बोलना है। यह आपको यह बताने के लिए काफी है कि हम किस तरह के देश में रह रहे हैं। यह कैसी शर्म की बात है।

बता दें कि, शारीरिक रूप से 90 प्रतिशत से अधिक विकलांग और व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले जीएन साईंबाबा को 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने माओवादी संबंध होने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

(भाषा से इनपुट के साथ)

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