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औरंगाबाद रेल दुर्घटनाः राष्ट्रपति कोविंद बोले-प्रवासी मजदूरों की मौत के दुख को व्यक्त करना शब्दों से परे

By भाषा | Updated: May 8, 2020 15:10 IST

औरंगाबाद एसपी मोक्षदा पाटिल ने कहा कि सुबह 5:15 बजे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, एक मालगाड़ी गुजर रही थी उसके नीचे मजदूर आ गए। इसमें 16 मजदूरों की मौत हो गई। एक घायल है, 4 लोग जो दूर बैठे थे उनसे हम पूछताछ कर रहे हैं।

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ठळक मुद्देऔरंगाबाद रेल दुर्घटना में मजदूरों की मौत से हुए दुख को शब्दों में व्‍यक्‍त करना संभव नहीं है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई।

नई दिल्लीः राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने औरंगाबाद में मालगाड़ी से कुचले जाने से 16 प्रवासी मजदूरों की मौत पर शोक प्रकट करते हुए शुक्रवार को कहा कि मजदूरों की मौत से हुए दुख को शब्दों में व्‍यक्‍त करना संभव नहीं है।

राष्ट्रपति ने ट्वीट किया,‘‘ औरंगाबाद रेल दुर्घटना में मजदूरों की मौत से हुए दुख को शब्दों में व्‍यक्‍त करना संभव नहीं है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना में घायल मजदूरों के लिए शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की प्रार्थना करता हूं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए बस और ट्रेन की सेवा मुहैया कराने की नीति का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं किया गया।

पूर्व वित्त मंत्री ने यह दावा भी किया कि जब लाखों लोग पैदल जाने लगे, इसके बाद भी सरकार ने देर से परिवहन सेवा मुहैया कराने का फैसला किया। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘यह तय है कि सरकार की बस एवं ट्रेन की सेवा मुहैया कराने की नीति सही तरीके से नहीं बनाई गई और इसका समन्वय के साथ क्रियान्वयन भी नहीं किया गया।’’ उन्होंने कहा कि बस और ट्रेन सेवा मुहैया कराने का फैसला होने के बाद सरकार को पैदल जा रहे लोगों को रोकर उन्हें ये परिवहन सेवाएं प्रदान करनी थी।

महाराष्ट्र में पटरियों पर सो रहे प्रवासी मजदूरों पर चढ़ी मालगाड़ी, 16 की मौत

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे कम से कम 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि करमाड पुलिस थाने के तहत आने वाले क्षेत्र में सुबह सवा पांच बजे हुई इस दुर्घटना में चार अन्य मजदूर जीवित बच गए।

हादसे की एक वीडियो क्लिप में पटरियों पर मजदूरों के शव पड़े दिखाई दे रहें हैं और शवों के पास उनका थोड़ा बहुत सामान बिखरा पड़ा दिख रहा है। जिला पुलिस प्रमुख मोक्षदा पाटिल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि जीवित बचे लोगों ने अपने साथियों को जगाने की कोशिश की थी जो घटनास्थल से करीब 40 किलोमीटर दूर जालना से रातभर पैदल चलने के बाद पटरियों पर सो गए थे। करमाड पुलिस थाने के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मध्य महाराष्ट्र के जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे।

जालना से आ रही मालगाड़ी पटरियों पर सो रहे इन मजदूरों पर चढ़ गई। पुलिस अधिकारी संतोष खेतमलास ने बताया, ‘‘जालना में एक इस्पात फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर गत रात पैदल ही अपने गृह राज्य की ओर निकल पड़े थे। वे करमाड तक आए और थककर पटरियों पर सो गए।’’ पुलिस ने बताया कि तीन मजदूर रेल की पटरियों से कुछ दूर सो रहे थे। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण ये प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए थे और अपने घर जाना चाहते थे। वे पुलिस से बचने के लिए रेल की पटरियों के किनारे पैदल चल रहे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर शुक्रवार को दुख जताया। उन्होंने कहा कि हरसंभव सहायता मुहैया कराई जा रही है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रवासी मजदूरों की मौत पर दुख जताया और उनके परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने राज्य के प्रवासी मजदूरों की मौत पर दुख जताया और उनके परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय मदद देने की घोषणा की। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने प्रवासी मजदूरों की मौत को दिल दहलाने वाला बताया और कहा कि केंद्र को राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि मजदूर अपने घर सुरक्षित पहुंच सके।

 

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