अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा-CJI के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुझाया था तीन पूर्व जजों का नाम
By स्वाति सिंह | Published: May 11, 2019 09:00 AM2019-05-11T09:00:37+5:302019-05-11T12:54:12+5:30
सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अपने आरोपों में कहा था कि सीजेआई ने उनका उत्पीड़न किया था। इन आरोपों की जांच के लिए जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई में आतंरिक जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों को बचाव किया था। लेकिन, इसके दो दिन बाद 22 अप्रैल को उन्होंने सुझाव दिया था कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व जजों को जांच करनी चाहिए। सुझाव देते हुए उन्होंने कहा था कि तीन पूर्व जस्टिस की कमिटी को सुप्रीम कोर्ट में नौकरी से हटाई गई महिला के आरोपों की जांच करनी चाहिए।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस ए बोबडे ने तीन जजों की इन-हाउस कमिटी शिकायत की जांच करने के लिए गठित की थी। इसके साथ ही केके वेणुगोपाल ने चिठ्ठी लिखकर बताया कि उन्होंने यह सुझाव एक वकील की हैसियत दिया था। उनकी यह राय सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर नहीं थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा 'मैंने सीजेआई को अटॉर्नी जनरल के तौर पर चिठ्ठी लिखी थी, लेकिन मैं यह स्पष्ट करना जरूरी समझता हूं कि मैंने वह पत्र किसी से भी सलाह लिए बिना निजी हैसियत से लिखा था। मैं यह बिलकुल नहीं चाहता हूं कि इसे सरकार की राय के तौर पर देखा जाए।'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अपने आरोपों में कहा था कि सीजेआई ने उनका उत्पीड़न किया था। इन आरोपों की जांच के लिए जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई में आतंरिक जांच कमेटी का गठन किया गया था। इस समिति में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं।
तीन सदस्यी आंतरिक जांच समिति ने कहा कि उसे महिला की ओर से चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कुछ दम नहीं नजर आया। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय ने कहा है कि जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
क्या है मामला
महिला ने चीफ जस्टिस गोगोई पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को हलफनामा भेजा था। बाद में शीर्ष कोर्ट में तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ साजिश बताया था। उन्होंने कहा था कि शिकायत करने वाली महिला के पीछे कुछ बड़ी ताकतें खड़ी हैं जो शीर्ष कोर्ट को अस्थिर करना चाहती हैं।