Atmanirbhar Bharat Defence: नई तकनीक विकसित हो, पीएम बोले- आत्मनिर्भर भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 27, 2020 05:45 PM2020-08-27T17:45:07+5:302020-08-27T19:07:42+5:30
मुझे इस बात की खुशी है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्य के लिए पूरी तरह से मिशन मोड पर जुटे हुए हैं। उनके इन अथक प्रयासों के कारण अच्छे परिणाम मिलना निश्चित है।
नई दिल्लीः डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज यहां हो रहे इस मंथन से जो परिणाम मिलेंगे उससे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के हमारे प्रयासों को अवश्य बल मिलेगा, गति मिलेगी।
मुझे इस बात की खुशी है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्य के लिए पूरी तरह से मिशन मोड पर जुटे हुए हैं। उनके इन अथक प्रयासों के कारण अच्छे परिणाम मिलना निश्चित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने, नई प्रौद्योगिकी के विकास और रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बड़ी भूमिका देने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से कुछ रक्षा उपकरणों पर आयात प्रतिबंध लगाया जाएगा। रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने पर आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने कहा, ‘‘हमने हाल ही में श्रम सुधार भी देखे, सुधार की कवायद अब रुकेगी नहीं।’’
हमारा उद्देश्य है नई तकनीक का भारत में ही विकास हो
PM मोदी ने कहा कि हमारा उद्देश्य है नई तकनीक का भारत में ही विकास हो। प्राइवेट सेक्टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिक विस्तार हो। इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, लेवल प्लेइंग फील्ड की तैयारी, एक्सपोर्ट प्रक्रिया का सरलीकरण, ऑब्सेट के प्रावधानों में सुधार जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं। अब पहली बार डिफेंस सेक्टर में 74 प्रतिशत तक FDI ऑटोमैटिक रूट से आने का रास्ता खोला जा रहा है। ये नए भारत के आत्मविश्वास का परिणाम है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम भारत को संपूर्ण विश्व के विकास में अधिक रचनात्मक योगदान देने के लिए आत्मनिर्भर होना चाहते हैं। आत्मनिर्भर होना एक राष्ट्रीय आवाहन है जिसे हमें एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में बदलने का भी संकल्प लेना होगा।
रक्षा मंत्रालय ने 101 डिफेंस आइटम की निगेटिव लिस्ट जारी की
रक्षा मंत्रालय ने 101 डिफेंस आइटम की निगेटिव लिस्ट जारी की है। ये लिस्ट एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत है जिसमें डिफेंस इंडस्ट्री को बदल देने की पूरी क्षमता है। ये लिस्ट एक शुरुआत भर है जिससे आने वाले समय में लगभग 1.40 लाख करोड़ की खरीदारी घरेलू स्तर पर की जाएगी।
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए लगातार कई बोल्ड पॉलिसी रिफॉर्म्स किए। इसमें ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का कॉरपोरेटाइजेशन, UP, तमिलनाडु में 2 डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना, ऑटोमेटिक रूट के द्वारा 74% FDI की अनुमति देना शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र सरकार का ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ का संकल्प आत्मकेंद्रित नहीं है, बल्कि भारत को सक्षम बनाने और वैश्विक शांति तथा अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर करने में मदद करने के लिए है।
रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्म-निर्भर बनाने पर आयोजित एक डिजिटल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हिंद महासागर में संपूर्ण सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा और उसे रणनीतिक साझेदारी वाले मित्र राष्ट्रों को रक्षा आपूर्ति करने वाले देश भी बनाएगा।
श्रम कानूनों में सुधार का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह लगातार चल रहा है
निजी रक्षा उत्पादन कंपनियों को लुभाने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से न सिर्फ कुछ रक्षा उपकरणों पर आयात प्रतिबंध लगाए गए हैं बल्कि घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने, नई प्रौद्योगिकी के विकास और रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों को बड़ी भूमिका देने के लिये प्रयास भी किये जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि पिछले दिनों श्रम कानूनों में सुधार का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह लगातार चल रहा है।
कुछ वर्ष पहले तक इस प्रकार के विषयों पर सोचा भी नहीं जाता था और आज इन सुधारों को अमली जामा पहना दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के प्रयास और प्रतिबद्धता आपके सामने हैं। अब आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को हमें मिलकर पूरा करना है। निजी क्षेत्र हों या सरकारी या विदेशी भागीदार, सभी के लिए आत्मनिर्भर भारत महत्वपूर्ण संकल्प है।’’ आधुनिक उपकरणों में आत्मनिर्भरता के लिए ‘‘प्रौद्योगिकी उन्नयन’’ को जरूरी बताते हुए मोदी ने कहा कि जो उपकरण आज बन रहे हैं, उनका ‘‘नेक्स्ट जेनरेशन’’ तैयार करने पर काम करने की भी जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान)के अलावा निजी क्षेत्र और अकादमिक संस्थानों में भी काम किया जा रहा है। रक्षा कॉरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकारों के साथ मिलकर अत्याधिक आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आने वाले पांच वर्षों में 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया है।’’
We aim to increase defence manufacturing in India: PM Narendra Modi addresses 'Atmanirbhar Bharat Defence Industry Outreach Webinar' through video conference. pic.twitter.com/bYD1NaR07K
— ANI (@ANI) August 27, 2020
रक्षा उपकरण आयात पर रोक से जुड़ी दूसरी सूची पर शुरू कर दिया है मंत्रालय ने काम
रक्षा मंत्रालय ने सैन्य उपकरणों और हथियारों के आयात पर रोक लगाये जाने से जुड़ी दूसरी सूची दिसंबर तक लाने पर काम शुरू कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देना है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने हथियारों के आयात प्रतिबंध की दूसरी सूची पर रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, निजी उद्योगों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तथा सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) जैसे बड़े हितधारकों के साथ प्रारंभिक चर्चा शुरू कर दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौ अगस्त को घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 101 हथियारों और सैन्य उपकरणों के आयात पर 2024 तक के लिए रोक लगाने की घोषणा की थी। इन उपकरणों में हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां और क्रूज मिसाइल शामिल हैं। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने एक विस्तृत समय सीमा के साथ इन उपकरणों की प्रथम सूची जारी की थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम दिसंबर के अंत तक दूसरी नेगेटिव हथियार आयात सूची लाने पर काम कर रहे हैं। ’’
इस महीने की शुरूआत में रक्षा मंत्रालय की रक्षा खरीद नीति के मसौदे में रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक रक्षा विनिर्माण में 1.75 लाख करोड़ रुपये (25 अरब डॉलर) के कारोबार का अनुमान लगाया है। भारत शीर्ष वैश्विक रक्षा कंपनियों के लिये सबसे आकर्षक बाजारों में से एक है। भारत पिछले आठ वर्षों से सैन्य हार्डवेयर के शीर्ष तीन आयातकों में शामिल है।
अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बल अगले पांच वर्षों में 130 अरब डॉलर की खरीद करने वाले हैं। प्रथम सूची में (101 वस्तुओं की सूची में) टोएड आर्टिलरी बंदूकें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें, अपतटीय गश्ती जहाज, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली, अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत, फ्लोटिंग डॉक, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर और समुद्री टोही विमान शामिल हैं।
इसमें बुनियादी प्रशिक्षण विमान, हल्के रॉकेट लांचर, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, मिसाइल डेस्ट्रॉयर, जहाजों के लिये सोनार प्रणाली, रॉकेट, दृश्यता की सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें अस्त्र-एमके 1, हल्की मशीन गन व आर्टिलरी गोला-बारूद (155 एमएम) और जहाजों पर लगने वाली मध्यम श्रेणी की बंदूकें भी शामिल हैं।
We've capability, capacity & will to produce high-end indigenous weapon systems. With govt's push in right direction & vision of Aatnirbhar Bharat being promulgated, this is time to see this opportunity to achieve self-efficiency & becoming net exporter of defence equipment: CDS https://t.co/wwS07kFfpo
— ANI (@ANI) August 27, 2020