जब अटल बिहारी वाजपेयी ने मौत को दी थी चुनौती, कहा था- आज राजीव गांधी की वजह से जिंदा हूं
By पल्लवी कुमारी | Published: August 16, 2018 12:27 PM2018-08-16T12:27:24+5:302018-08-16T12:27:24+5:30
साल 1988 में वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे। तब उन्होंने कवि धर्मवीर भारती को लिखे पत्र में कहा था- 'ठन गई! मौत से ठन गई!
नई दिल्ली, 16 अगस्त: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है और उन्हें दिल्ली एम्स में जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। भारतीय जनता पार्टी के 93 वर्षीय दिग्गज नेता को गुर्दे में संक्रमण, मूत्र नली में संक्रमण, पेशाब की मात्रा कम और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (एम्स) में भर्ती कराया गया था।
एम्स की ओर से जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री की हालत वैसी ही बनी हुई है। उनकी हालत नाजुक है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं। अस्पताल ने बुधवार रात एक बयान में कहा, दुर्भाग्यवश, उनकी हालत बिगड़ गई है। उनकी हालत गंभीर है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं, जिनका सम्मान विरोधी भी करते थे। जितना प्यार देश ने उन्हें एक नेता के तौर पर दिया है, उतना ही एक कवि के तौर पर भी दिया है। साल 1988 में वाजपेयी किडनी का इलाज कराने अमेरिका गए थे। तब उन्होंने कवि धर्मवीर भारती को लिखे एक खत में उन्होंने मौत की आंखों में देखकर उसे हराने के जज्बे को बताने के लिए एक कविता लिखा था। आज वह बोल तो नहीं पा रहे हैं, लेकिन मौत से जंग जीतने वाली कविता हम आपको दिखाते हैं...। यह कविता ठन गई! मौत से ठन गई!
''ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई। ''
धर्मवीर को लिखे पत्र में उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें डॉक्टरों ने किडनी की सर्जरी कराने की सलाह दी थी। जिसके बाद वह काफी बैचेन हो गए और उन्हें नींद नहीं आ पा रही थी। उनके मन में जो उस वक्त भावना थे, उसी ने कविता को रूप लिया। सबसे हैरानी वाली बात तो यह है कि अटल बिहारी वाजपेयी को इलाज के लिए अमेरिका भेजने में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का हाथ था। राजीव ने संयुक्त राष्ट्र को भेजे डेलिगेशन में अटल का नाम शामिल किया था ताकि इसी बहाने अटल अपना इलाज करा सकें। अटल हमेशा इस बात के लिए राजीव गांधी की महानता की सराहना करते रहे और कहते रहे कि राजीव गांधी की वजह से ही वह जिंदा हैं।
बता दें कि निमोनिया के कारण उनके दोनों फेफड़े सही से काम नहीं कर रहे हैं और दोनों किडनी भी कमजोर हो गयी हैं। उनकी हालत नाजुक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार शाम वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए एम्स गये थे। मोदी करीब सवा सात बजे अस्पताल पहुंचे थे और वह करीब 50 मिनट तक वहां रूके।
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू 16 अगस्त की सुबह पूर्व प्रधानमंत्री का हालचाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे। भाजपा के अनुभवी नेता और वाजपेयी के करीबी रहे लाल कृष्ण आडवाणी भी उनका कुशलक्षेम जानने एम्स पहुंचे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा एम्स में मौजूद हैं, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर के भी शीघ्र ही एम्स पहुंचने की संभावना है।
(भाषा इनपुट)