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अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियाँ विसर्जित करते समय डगमगाई नाव, नदी में गिरे सांसद, विधायक, डीएम और एसपी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 25, 2018 20:58 IST

अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को नई दिल्ली में निधन हो गया। तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था।

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बस्ती :उप्र:, 25 अगस्त (भाषा) जिले के अमहट पुल पर कुआनो नदी में आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि विसर्जन करते वक्त नाव का संतुलन बिगड़ जाने से सांसद, विधायक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित कई लोग नदी में गिर पड़े।

बस्ती के पुलिस अधीक्षक दिलीप कुमार ने 'भाषा' को फोन पर बताया कि 'अस्थि कलश को विसर्जित करने के लिये सांसद, विधायक सहित सभी अधिकारी एक बड़ी नाव में सवार थे कि अचानक नाव का संतुलन बिगड़ गया। वहां पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे और तुरंत सभी लोगों को पानी से निकाल लिया गया और कोई हादसा नहीं हुआ।'

प्राप्त जानकारी के अनुसार नाव में इलाके के सांसद, कई विधायक, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सवार थे।

वाजपेयी की अस्थियों को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सभी प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष को दिल्ली में सौंपी गयी ताकि उन्हें विभिन्न नदियों में विसर्जित किया जा सके।

अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को नई दिल्ली स्थिति एम्स अस्पताल में निधन हो गया था। 

वाजपेयी का राजनीतिक सफर

वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वो युवावस्था में राजनीति में आ गये थे।

वाजपेयी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल गये थे। वो छात्र जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गये थे।

वाजपेयी पहली बार 1957 में जन संघ के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोक सभा चुनाव जीतकर संसद पहुँचे थे।

वाजपेयी अपने छह दशक से लम्बे राजनीतिक जीवन में 10 हार लोक सभा सांसद और दो बार राज्य सभा सांसद रहे।

वाजपेयी 1977 में जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री बने। 1980 में जनता पार्टी से जन संघ का धड़ा अलग हो गया और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई।

वाजपेयी बीजेपी के संस्थापक अध्यक्ष चुने गये। वाजपेयी कुल तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे।

वाजपेयी पहली बार महज 13 दिनों के लिए 1996 में पीएम बने। दूसरी बार 1998 में वो 13 महीनों के लिए प्रधानमंत्री बने।

1999 में वाजपेयी ने तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली और अपना कार्यकाल पूरा किया। 

इस तरह पीएम के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वो देश के पहले गैर-कांग्रेसी नेता बने।

वाजपेयी की राजनीति से दूरी

साल 2004 के लोक सभा चुनाव में वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गयी। केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार बन गई।

साल 2005 में वाजपेयी ने स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली। 

साल 2014 में बीजेपी नीत एनडीे की केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली सरकार आयी तो वाजपेयी को साल 2015 में भारत रत्न से सम्नानित किया गया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

 

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