विधानसभा चुनाव में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बनाया टारगेट, कहा- अबकी बार BJP 65 पार
By भाषा | Published: July 14, 2019 03:39 PM2019-07-14T15:39:59+5:302019-07-14T15:39:59+5:30
भाजपा के सहयोगी दलों ने इस साल संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में 14 सीटों में से 12 सीटों पर परचम लहराया था। झारखंड के मुख्यमंत्री दास ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘अब की बार 65 पार’’।
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, राज्य के ऐसे पहले मुख्यमंत्री होने जा रहे हैं जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का लक्ष्य रखा है-‘अबकी बार 65 पार’। साल 2014 में हुये विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कुल 81 सीटों में से 42 पर विजय हासिल की है।
भाजपा के सहयोगी दलों ने इस साल संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में 14 सीटों में से 12 सीटों पर परचम लहराया था। झारखंड के मुख्यमंत्री दास ने साक्षात्कार में कहा, ‘‘अब की बार 65 पार’’। इसमें जरा भी संदेह की गुंजाइश नहीं है कि लोग हमें पूर्ण बहुमत दे रहे हैं। हम विशाल बहुमत से जीतेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकास का संदेश निचले स्तर पर जन जन तक पहुंच गया है।’’
उन्होंने कहा कि विकास की ठोस आधारशिला के कारण भाजपा का कार्यकर्ता चुनावों के लिए हमेशा तैयार रहता है। चाहे वह झारखंड हो या कोई दूसरी जगह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास की राजनीति को लोगों ने देखा और स्वीकार किया है। दास ने कहा कि राज्य के लोग, जिनमें शोषित, निचले तबके, गरीब और दलित शामिल हैं, उन्होंने विकास कार्य देखा है और ‘‘स्वार्थी मंशा से बने ‘ताकत के भूखे’ विपक्षी गठबंधन को सीधे तौर पर खारिज’’ कर दिया है।
विपक्षी महागठबंधन को इस साल हुये लोकसभा चुनाव में महज दो सीटों मिली जिसमें से झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को एक एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। जबकि इसमें शामिल दूसरे दल झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को खाली हाथ रहना पड़ा था।
दास ने कहा कि राज्य के लोगों ने लोकसभा चुनाव में ‘महागठबंधन’ को आईना दिखा दिया। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की राजनीति ने उन्हें हरा दिया। इस बार भी उन्हें करारा जवाब मिलेगा। वह राज्य के ऐसे पहले ऐसे मुख्यमंत्री का तमगा हासिल करने वाले हैं जिसने राज्य में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया हो।
गौरतलब है कि बिहार से अलग होकर 15 नवम्बर, 2000 को अस्तित्व में आने के बाद से यहां कोई मुख्यमंत्री पांच साल तक पद पर नहीं रह सका है। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुये कहा कि इन योजनाओं से हर तबके चाहे वह बुनियादी ढांचा हो, किसान हो या महिला सशक्तिकरण अथवा युवाओं का कौशल विकास, हर जगह तरक्की हुई है।