असम के राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के पूर्व राज्य संयोजक प्रतीक हजेला पर सरकारी धन के गबन का आरोप लगा है और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, हजेला पर राज्य के एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। एपीडब्ल्यू ने सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा में प्रतीक हजेला के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। सुप्रीम कोर्ट में मूल याचिकाकर्ताओं में से एक असम पब्लिक वर्क्स (APW) की ओर से गुवाहाटी में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई थी।
राजीव डेका ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई है। वह सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के मूल याचिकाकर्ता हैं। वह असम में एनआरसी अपडेट करने के प्रयासों लगे रहे हैं।
शिकायत में डेका ने मांग की है कि एनआरसी अपडेट करने के लिए केंद्र ने 1600 करोड़ रुपये कैसे जारी किए, सीबीआई इसकी जांच करे। शिकायत में कहा गया है कि पूरी प्रक्रिया हजेला और उसके सहयोगितकी देखरेख में हुई, जिसका उसने सरकारी धन के गबन में इस्तेमाल किया।
हजेला पर आरोप है कि उन्होंने एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कई सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया और उन्हें नए वाहन और आकर्षक वेतन दिया।
आरोप लगाया गया कि हजेला ने जिन सलाहकारों को काम पर रखा था उनके काम कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है और नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा ऑडिट नहीं किया गया।
एफआईआर में कहा गया है एनआरसी के काम में बड़ी संख्या में स्कूल के शिक्षकों को नियुक्त किया गया था लेकिन रिकॉर्ड दिखाता है कि उन्हें उनका पारिश्रमिक नहीं दिया गया। शिक्षकों को किसी प्रकार मेहनताना नहीं दिया गया। शिकायत में कहा गया है कि लगभग 10000 लैपटॉप 44000 रुपये की बढ़ी हुई कीमत पर खरीदे गए, जबकि उनका बाजार मूल्य 22500 रुपये था।
एनआरसी की अंतिम सूचि इस वर्ष अगस्त में पहली बार जारी की गई थी जिसमें 19 लाख लोगों के नाम नहीं थे। एनआरसी अद्यतन प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट निगरानी में हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने हजेला को मध्य प्रदेश में ट्रांसफर कर दिया था. उन्होंने महीने असम छोड़ा। उनकी जगह राज्य सिविल सेवा अधिकारी हितेश देव शर्मा को नया संयोजक बनाया गया है।