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आर्यमन की कविताओं में छिपा है जिंदगी का फलसफा - जावेद अख्तर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 6, 2019 03:24 IST

अख्तर ने कहा कि पुरानी पीढ़ी ने मां-बाप से मिले संस्कारों, जीवनमूल्यों और विचारों की विरासत हमारी पीढ़ी के हवाले कर दी. फिर भी हकीकत यही है कि इस पीढ़ी के माता-पिता उस विरासत को अगली पीढ़ी को उतनी अच्छी तरह से नहीं दे पा रहे हैं. अभिभावकों की वर्तमान पीढ़ी भौतिक सुखों के पीछे भाग रही है. इसके बावजूद आर्यमन के पालकों को अभिभावकों से मिली संस्कारों, विचारों की विरासत मूल्यवान है. इसी वजह से आर्यमन को कुछ रचने की प्रेरणा मिली.

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ठळक मुद्देप्रसिद्ध कवि और गीतकार जावेद अख्तर ने. शुक्रवार शाम वरली स्थित लोढा सुप्रीमस में आर्यमन दर्डा के पहले काव्य संग्रह 'स्नो फ्लेक्स' के विमोचन के अवसर पर वह बोल रहे थे. इस अवसर पर लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड चेयरमैन विजय दर्डा, प्रसिद्ध गायक रूपकुमार राठोडआर्यमन के पिता और लोकमत समूह के प्रबंध संचालक देवेंद्र दर्डा ने कहा कि आर्यमन को आशीर्वाद देने के लिए इस कार्यक्रम में दिग्गजों की मौजूदगी उसे हमेशा प्रेरणा देती रहेगी.

कविताएं रचने के लिए उम्र का तीसवां पड़ाव ज्यादा माकूल माना जाता है. उससे पहले तो केवल कल्पनालोक में उड़ान ही भरी जा सकती है, लेकिन 16 बरस के आर्यमन की कविताओं में चकित कर देने वाला जिंदगी का फलसफा, जिंदगी को लेकर गंभीर सोच के साथ-साथ भौतिक सुख से परे जाकर जिंदगी जीने का एक निर्लिप्त भाव देखने को मिलता है.

यह विचार व्यक्त किए प्रसिद्ध कवि और गीतकार जावेद अख्तर ने. शुक्रवार शाम वरली स्थित लोढा सुप्रीमस में आर्यमन दर्डा के पहले काव्य संग्रह 'स्नो फ्लेक्स' के विमोचन के अवसर पर वह बोल रहे थे. इस अवसर पर लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड चेयरमैन विजय दर्डा, प्रसिद्ध गायक रूपकुमार राठोड़, वरिष्ठ कवि व गीतकार प्रसून जोशी भी उपस्थित थे.

अख्तर ने कहा कि पुरानी पीढ़ी ने मां-बाप से मिले संस्कारों, जीवनमूल्यों और विचारों की विरासत हमारी पीढ़ी के हवाले कर दी. फिर भी हकीकत यही है कि इस पीढ़ी के माता-पिता उस विरासत को अगली पीढ़ी को उतनी अच्छी तरह से नहीं दे पा रहे हैं. अभिभावकों की वर्तमान पीढ़ी भौतिक सुखों के पीछे भाग रही है. इसके बावजूद आर्यमन के पालकों को अभिभावकों से मिली संस्कारों, विचारों की विरासत मूल्यवान है. इसी वजह से आर्यमन को कुछ रचने की प्रेरणा मिली.

वरिष्ठ कवि व गीतकार प्रसून जोशी ने कहा कि इतनी कम उम्र में आर्यमन का कविता की ओर देखने का दृष्टिकोण हैरत में डाल देने वाला है. वन्यजीवों को महज शिकार नहीं बल्कि जीवन जीने की अभिलाषा के तौर पर देखना एक बेहद प्रेरणादायी विचार है. कई बार भावनाओं को मन में ही दबाकर रखना ज्यादा आसान होता है, लेकिन उसे सबके सामने व्यक्त करना हिम्मत का काम है. क्योंकि उन भावनाओं पर प्रतिक्रिया होती है. यह हौसला आर्यमन ने दिखाया जो तारीफ के काबिल है. यह हिम्मत दिखाने के लिए आर्यमन को मिला अभिभावकों का साथ भी भाग्य की बात है.

रूपकुमार राठोड़ ने कहा कि साहित्य, संगीत, अभिनय हो या फिर कला से जुड़ा कोई भी क्षेत्र हो, दर्डा परिवार ने हमेशा उसे सहेजने, प्रोत्साहन देने का काम किया है. संगीत के क्षेत्र में नवोदित कलाकारों को दिया जाने वाला 'सुर ज्योत्सना पुरस्कार' उसी का हिस्सा है और बेहद प्रेरणादायी उपक्रम है. आज के युग में सभी लोग आत्मकेंद्रित हो गए हैं. ऐसे में इतनी अच्छी परवरिश के लिए आर्यमन के अभिभावक प्रशंसा के पात्र हैं. इतनी कम उम्र में आर्यमन के इस सफर पर अभिमान महसूस होता है.

उपस्थितजनों का आभार प्रदर्शन करते हुए आर्यमन के पिता और लोकमत समूह के प्रबंध संचालक देवेंद्र दर्डा ने कहा कि आर्यमन को आशीर्वाद देने के लिए इस कार्यक्रम में दिग्गजों की मौजूदगी उसे हमेशा प्रेरणा देती रहेगी.

 

बेटा, तुम्हारी उम्र में हम भी ऐसे ही थे !

जावेद अख्तर ने कहा कि कविता समझ से साकार होती है. उसके लिए मन में छिपी भावनाओं को सहेजना पड़ता है. उसके बाद सन्नाटे के किसी पल में मन के किसी कोने से अपने-आप आवाज आती है और उसी पल कविता साकार होती है. उन्होंने कहा कि इस उम्र में भी आर्यमन को बड़ी ही खूबसूरती से इस सफर का पता चल गया है. पुरानी यादों में खोते हुए अख्तर ने कहा, 'बेटा, तुम्हारी उम्र में हम भी ऐसे ही थे.'

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