Sanjay Nirupam On Arvind Kejriwal: 'केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद से चिपके हुए हैं', कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा, 'तत्काल इस्तीफ़ा देना चाहिए'
By धीरज मिश्रा | Published: March 23, 2024 11:54 AM2024-03-23T11:54:02+5:302024-03-23T11:59:02+5:30
Sanjay Nirupam On Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की कथित शराब घोटाला मामले में ईडी की कस्टडी में हैं। ईडी उनसे छह दिनों तक लगातार शराब घोटाला से संबंधित सवाल पूछेगी।
Sanjay Nirupam On Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालदिल्ली की कथित शराब घोटाला मामले में ईडी की कस्टडी में हैं। ईडी उनसे छह दिनों तक लगातार शराब घोटाला से संबंधित सवाल पूछेगी। वहीं, इस बीच केजरीवाल को क्या सीएम बना रहना चाहिए या फिर इस्तीफा देना चाहिए। इस सवाल ने जन्म ले लिया है और लगातार इस पर पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रिया आ रही हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं।
— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) March 23, 2024
इंसानियत के नाते उनके प्रति सहानुभूति है।
कॉंग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है।
लेकिन वे भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं,उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के…
सीएम की कुर्सी को लेकर आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि सीएम जेल से ही दिल्ली सरकार चलाएंगे। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने केजरीवाल पर तंज कसा है और कहा कि यह कैसी नैतिकता है। मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए। संजय ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लंबा चौड़ा एक संदेश भी शेयर किया है।
संजय ने क्या लिखा अपने पोस्ट में
संजय निरुपम ने अपने पोस्ट में लिखा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं। इंसानियत के नाते उनके प्रति सहानुभूति है। कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है। लेकिन वे भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं,उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर कर दिया।
एक समय था जब एक हवाला कारोबारी जैन की कथित डायरी में अडवाणी ,माधवराव सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम आए थे और उनपर रिश्वत लेने के आरोप लगे,तब उन्होंने नैतिकता का तक़ाज़ा देकर तत्काल अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफ़ा दे दिया था। अभी हाल में जब वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन का तमाशा पूरे देश को दिखा रहे थे तब यूपीए सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के छिछले आरोपों पर भी अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
कुछ महीने पहले की बात है,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ़्तारी से पहले पद छोड़कर एक नैतिक आचरण पेश किया था। हज़ारों साल पीछे जाएं तो अपने पिता के वचन के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया था। जिसके लिए राजपाट छीना गया था,वह कभी भी राजा रामचंद्र के सिंहासन पर नहीं बैठा। बल्कि खड़ाऊँ रखकर तब तक राज चलाया जब तक उनके बड़े भाई राम लौटे नहीं।
भारत की ऐसी समृद्ध परंपरा रही है। दिल्ली के शराब घोटाले की सच्चाई क्या है,इसका फ़ैसला अदालत को करना है। पर एक मुख्यमंत्री पर इस घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उनकी गिरफ़्तारी हुई है। वे कस्टडी में है और मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं। यह कैसी नैतिकता है। उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफ़ा देना चाहिए।