जेटली को नमनः रक्षा मंत्री के रूप में बेहतर काम किए, आजादी के बाद संभवत: पहली बार होगा, जब सेना में इतने बड़े स्तर पर सैन्य सुधार हुए
By भाषा | Published: August 24, 2019 05:48 PM2019-08-24T17:48:01+5:302019-08-24T17:48:01+5:30
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने 26 मई से नौ नवंबर 2014 तक रक्षा मंत्री का पदभार संभाला था, इसके बाद मनोहर पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षा मंत्री का पदभार सौंपा गया था। गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिये पर्रिकर ने जब केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया तब तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली को 14 मार्च 2017 में एक बार फिर रक्षा मंत्रालय का पदभार सौंपा गया।
रक्षा मंत्री के तौर पर दो बार अपने छोटे से कार्यकाल में अरुण जेटली ने सैन्य बलों में दीर्घकालिक लंबित सुधारों की दिशा में राह दिखायी और रक्षा निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये अहम नीतिगत पहल लेकर आये।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली ने 26 मई से नौ नवंबर 2014 तक रक्षा मंत्री का पदभार संभाला था, इसके बाद मनोहर पर्रिकर को गोवा से बुलाकर रक्षा मंत्री का पदभार सौंपा गया था। गोवा का मुख्यमंत्री बनने के लिये पर्रिकर ने जब केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया तब तत्कालीन वित्त मंत्री जेटली को 14 मार्च 2017 में एक बार फिर रक्षा मंत्रालय का पदभार सौंपा गया।
सात सितंबर 2017 को निर्मला सीतारमण ने उनकी जगह रक्षा मंत्री का पदभार संभाला। भाजपा के कद्दावर नेता का शनिवार को एम्स में निधन हो गया। पिछले कई महीने से वह स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे थे। रक्षा मंत्री के तौर पर जेटली के कार्यकाल में बड़े सुधार किये गये और रक्षा खरीद की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया।
Defence Minister Rajnath Singh to pay tribute to former Finance Minister #ArunJaitley, on behalf of Prime Minister Narendra Modi. Arun Jaitley passed away at All India Institute Of Medical Sciences, Delhi, earlier today. (file pics) pic.twitter.com/EEXbQYjKQ3
— ANI (@ANI) August 24, 2019
जेटली ने जो सर्वाधिक अहम पहल की, वह भारत को रक्षा निर्माण के क्षेत्र में एक केंद्र बनाना था। उन्होंने लंबे समय से लंबित रहे साझेदारी मॉडल को मई 2017 में शुरू किया। उनकी बनाई नीति के तहत चुनिंदा निजी भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर भारत में पनडुब्बी, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और बख्तरबंद वाहन/मुख्य युद्धक टैंक जैसे सैन्य साजो-सामान के निर्माण की इजाजत मिली।
इस नीति ने एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से भारत की रक्षा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की परिकल्पना की जिसमें भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर घरेलू निर्माण ढांचा की स्थापना करेंगी।
इस नीति के तहत पहली परियोजना को पिछले साल अंतिम रूप दिया गया जिसके तहत भारतीय नौसेना 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 111 हेलीकॉप्टर खरीदेगी। रक्षा मंत्री के तौर पर जेटली ने अगस्त 2017 में भारतीय सेना के लिये 65 सुधारात्मक उपायों को मंजूरी दी जिनमें करीब 57,000 अधिकारियों और अन्य रैंक के कर्मियों का पुनर्नियोजन शामिल है।
सुधारात्मक उपाय शुरू किये जाने को लेकर जब जेटली से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद संभवत: यह पहली बार होगा जब सेना में इतने बड़े स्तर पर और दूरगामी सुधार प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है।’’