अनुच्छेद 370ः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- रातों रात कुछ भी नहीं हो सकता, कुछ गंभीर मुद्दे हैं, हालात सामान्य होने में समय लगेगा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 13, 2019 08:35 PM2019-08-13T20:35:03+5:302019-08-13T20:35:03+5:30
जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक बयान को उद्धृत करते हुए गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर घाटी से उड़ानों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा है और करीब 1500 हल्के (एलएमवी) एवं अन्य वाहन राजमार्ग से रोजाना सुगमता से गुजर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर में लोगों की आवाजाही और संचार संपर्क पर लगाई गई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है, जबकि जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाले राजमार्ग पर सामान्य रूप से वाहनों का आवागमन हो रहा है।
कश्मीर घाटी में चरणबद्ध तरीके से पाबंदियों में ढील दिये जाने के बीच उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हालात सामान्य करने के लिये सरकार को ‘‘समुचित समय’’ दिया जाना चाहिए।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को यह कहा। जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक बयान को उद्धृत करते हुए गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कश्मीर घाटी से उड़ानों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा है और करीब 1500 हल्के (एलएमवी) एवं अन्य वाहन राजमार्ग से रोजाना सुगमता से गुजर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों में घाटी में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा रही है और जम्मू संभाग में संबद्ध स्थानीय अधिकारियों के आकलन के बाद (पूर्व) स्थिति बहाल हो गई है।’’ लोगों को निर्बाध रूप से मेडिकल सेवाएं मुहैया की जा रही हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि श्रीनगर के विभिन्न अस्पतालों में बाह्य रोगी विभागों (ओपीडी) के जरिये 13,500 रोगियों को जरूरी इलाज मुहैया किया गया है। जीवन रक्षक दवाइयां सहित सभी दवाइयों की उपलब्धता कश्मीर घाटी के हर अस्पताल में सुनिश्चित की गई है।
J&K Principal Secretary (Planning Commission) Rohit Kansal on detention of political leaders: Law & order situation is being assessed at local level by district & police officials, whatever action is required to maintain public order is being taken under the ambit of the law. pic.twitter.com/LaDvNT8FfB
— ANI (@ANI) August 13, 2019
रसोई गैस सिलेंडर और अन्य आवश्यक वस्तुएं ढोने वाले करीब 100 से अधिक भारी वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग से रोजाना गुजर रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए जम्मू कश्मीर के प्रत्येक जिले में ‘फुल ड्रेस रिहर्सल’ किया गया है और इसे सुगमता से पूरा करने के लिए आवश्यक इंतजाम किये गए।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने संबंधी केंद्र के पांच अगस्त के फैसले के बाद राज्य में सुरक्षा कारणों को लेकर कई पाबंदियां लगा दी गई थी।
Government Sources: Union Home Minister Amit Shah has no plans to visit Srinagar, Jammu & Kashmir on 15th August. (file pic) pic.twitter.com/CsFz9ggV15
— ANI (@ANI) August 13, 2019
कश्मीर घाटी में चरणबद्ध तरीके से पाबंदियों में दी जा रही है ढील: अधिकारी
कश्मीर घाटी में चरणबद्ध तरीके से पाबंदियों में ढील दिये जाने के बीच उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हालात सामान्य करने के लिये सरकार को ‘‘समुचित समय’’ दिया जाना चाहिए। जम्मू कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को रद्द करने के बाद राज्य में लगाये गये सभी प्रतिबंधों को तत्काल हटाने का केन्द्र को निर्देश देने से इंकार करते उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वहां की स्थिति ‘बहुत ही संवेदनशील’ हैं।
दिल्ली में सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लोगों की आवाजाही और संचार सुविधाओं पर लगायी गयी पाबंदियां कुछ और दिन रह सकती हैं एवं उन्हें हटाने का कोई भी फैसला स्थानीय प्रशासन ही करेगा।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन निवेशकों को लुभाने के लिए 12 अक्टूबर से श्रीनगर में तीन दिवसीय वैश्विक निवेशकों के सम्मेलन का आयोजन करेगा। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इस याचिका में अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द करने के बाद जम्मू कश्मीर में पाबंदियां लगाने और कठोर उपाय करने के केन्द्र के निर्णय को चुनौती दी गयी है। पीठ ने कहा, ‘‘रातों रात कुछ भी नहीं हो सकता। कुछ गंभीर मुद्दे हैं। हालात सामान्य होंगे और हम उम्मीद करते हैं कि ऐसा समय के साथ होगा। इस समय महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि किसी की जान नहीं जाये।’
पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में कोई भी आदेश देने से पहले उसे इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करना होगा। इसलिए सरकार को राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये समुचित वक्त दिया जाना चाहिए।
जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रधान सचिव और प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि कश्मीर के भागों में संबंधित स्थानीय अधिकारियों के आकलन के आधार पर चरणबद्ध तरीके से पाबंदियों में ढील दी जा रही है। प्रधान सचिव ने कहा, ‘‘हम यह आशा करते हैं कि (15 अगस्त के) स्वतंत्रता दिवस समारोहों के लिए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के विभिन्न जिलों में चल रहे ‘फुल ड्रेस रिहर्सल’ के समाप्त होने के बाद और अधिक ढील (पाबंदियों में) दी जाएगी।’’
लगभग हफ्ते भर पहले जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों--जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख-- में बांटने के केंद्र के फैसले के बाद सुरक्षा कारणों को लेकर ये पाबंदियां लगाई गई थी। कश्मीर में सबसे पहले नौ अगस्त को पाबंदियों में ढील दी गयी ताकि लोग स्थानीय मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा कर सकें। सोमवार को ईद-उल-अजहा से पहले भी पाबंदियों में ढील दी गयी।
कंसल ने कहा कि प्रशासन राज्य के सभी हिस्सों में (पाबंदियों में) ढील देने की नीति अपना रहा है और सोमवार को ईद का त्योहार एवं नमाज शांतिपूर्ण रहे। उन्होंने कहा कि निरंतर यह कोशिश की जा रही है कि लोगों को रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़े और उन्हें हरसंभव तरीके से सुविधाएं मुहैया की जाए।
प्रधान सचिव ने कहा कि जहां तक संचार की बात है, स्थानीय लोगों के लिए 300 ‘पब्लिक बूथ’ स्थापित किये गए हैं, जहां से वे अपने सगे-संबंधियों और अन्य लोगों से बात कर सकते हैं। एक दिन में 5,000 फोन कॉल किये गए। उन्होंने कहा कि सभी तरह की मेडिकल सेवाएं सामान्य रूप से और निर्बाध रूप से जारी हैं। दिल्ली के एक अधिकारी ने कहा कि एहतियात के तौर पर गिरफ्तार किए गए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद ही जम्मू कश्मीर प्रशासन रिहा करेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि दुविधा, असुविधा और जनहानि के बीच है, यदि दुविधा, फर्जी खबरों से जनहानि होने और लोगों की सुविधाओं के बीच है, तो हमें क्या चुनना चाहिए?’’ उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, प्रशासन लोगों के सामने आ रही परेशानियों से परिचित है और असुविधाओं को कम करने का प्रयास कर रहा है। ऐसा कोई भी निर्णय स्थानीय प्रशासन ही लेगा।’’
अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब जम्मू कश्मीर में प्रतिबंध लगाए गए हैं और इसी तरह की स्थिति 2016 में उत्पन्न हुई थी जब हिज्बुल मुजाहिदीन का आतंकवादी बुरहान वानी मारा गया था। अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस सप्ताहों तक चलने वाली ‘हड़तालों’ का आह्वान करता रहा है।
दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने के उद्देश्य से जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित परिसीमन को लेकर निर्वाचन अयोग ने मंगलवार को अनौपचारिक चर्चा की। आयोग के सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के मुताबिक परिसीमन के लिए औपचारिक रूप से अभी तक पत्र नहीं लिखा है।