अनुच्छेद 370: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पिछले दो फैसलों में विरोधाभास होने पर ही बड़ी पीठ को सौंपेंगे मामला
By भाषा | Published: January 23, 2020 01:08 AM2020-01-23T01:08:41+5:302020-01-23T01:08:41+5:30
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता अनुच्छेद 370 के मुद्दे से संबंधित दो निर्णयों- 1959 में प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर तथा 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर के बीच प्रत्यक्ष विरोधाभाष साबित नहीं करते, तब तक वह इस मामले को बड़ी पीठ को सौंपने नहीं जा रहा है।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह अनुच्छेद 370 के मुद्दे को बड़ी सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को तभी सौंपेगा जब वह इस बात के लिए संतुष्ट हो जायेगा कि इस मामले से संबंधित शीर्ष न्यायालय के दो पिछले फैसलों में प्रत्यक्ष विरोधाभास है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि जब तक याचिकाकर्ता अनुच्छेद 370 के मुद्दे से संबंधित दो निर्णयों- 1959 में प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर तथा 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर के बीच प्रत्यक्ष विरोधाभाष साबित नहीं करते, तब तक वह इस मामले को बड़ी पीठ को सौंपने नहीं जा रहा है।
उक्त दोनों फैसले पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दिए थे। न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष बुधवार को सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने कहा कि धारा 370 के प्रावधानों को खत्म करने का केंद्र सरकार का पांच अगस्त का फैसला गैरकानूनी है और इसकी समीक्षा की जरूरत है।
पीठ ने कहा, “आपको ये साबित करना होगा शीर्ष अदालत के दो फैसलों में प्रत्यक्ष विरोधाभास है। केवल तभी हम इसे बड़ी पीठ को सौंपेंगे। आपको हमें दिखाना होगा कि इनमें प्रत्यक्ष विरोधाभास है।” सुनवाई गुरुवार को जारी रहेगी।