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आर्टिकल 370: 52 दिनों बाद भी कश्मीरियों को नहीं पता उनके रिश्तेदार किस जेल में हैं, हिरासत में लिए लोगों का आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं

By सुरेश डुग्गर | Updated: September 25, 2019 09:41 IST

एक स्टडी ग्रुप द्वारा इन 52 दिनों में कश्मीर के विभिन्न इलाकों से 13 हजार बच्चों की गिरफ्तारियों के आंकड़े के प्रति रहस्योदघाटन करने के बाद राज्य प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है

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ठळक मुद्देगिरफ्तार करके अस्थाई और स्थाई जेलों में बंद किए जाने वालों का आंकड़ा भी अभी रहस्य हैअपनों की तलाश में जुटने वाले लोगों की संख्या देख सरकारी आंकड़ों के प्रति लोगों को शक जरूर पैदा होने लगा है

आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के 52 दिनों के बाद भी कई कश्मीरी यह पता लगा पाने में नाकाम हुए हैं कि उनके अपने तथा सगे संबंधियों को हिरासत में लेकर कहां रखा गया है। यह गिरफ्तारियां आतंकवाद में लिप्त युवकों की नहीं हैं बल्कि उन आम नागरिकों की हैं जिन्हें 5 अगस्त की रात से लेकर अभी तक गिरफ्तार किया गया है। यही नहीं कश्मीर में संचारबंदी का आलम यह है कि यह आंकड़ा भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कश्मीर में कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है और कितने राज्य की बाहर की जेलों में भिजवाए गए हैं।

हालांकि एक स्टडी ग्रुप द्वारा इन 52 दिनों में कश्मीर के विभिन्न इलाकों से 13 हजार बच्चों की गिरफ्तारियों के आंकड़े के प्रति रहस्योदघाटन करने के बाद राज्य प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है लेकिन बावजूद इसके वे न ही इसकी पुष्टि करते थे और न ही खंडन जिस कारण इन आंकड़ों के दावों पर विश्वाास करना ही पड़ता था।

गिरफ्तार करके अस्थाई और स्थाई जेलों में बंद किए जाने वालों का आंकड़ा भी अभी रहस्य है। कभी प्रशासन संतूर होटल की अस्थाई जेल में बंद लोगों की संख्या को 60 बताता था तो कभी 400 भी बता देता था। संतूर होटल के बाहर अपनों से मिलने वालों और अपनों की तलाश में जुटने वाले लोगों की संख्या देख सरकारी आंकड़ों के प्रति लोगों को शक जरूर पैदा होने लगा था।

यही हालत राज्य की विभिन्न जेलों की भी थी। इनमें जम्मू संभाग की जेलें भी शामिल हैं जहां अपनों से मिलने के लिए आने वालों की संख्या इन 52 दिनों में बढ़ी है। यही नहीं अपनों की तलाश भी कई परिवारों को इन जेलों के द्वार तक खींच ला रही है। यह बात अलग है कि जिन्हें फिर भी अपनों के प्रति कोई कोई जानकारी नहीं मिलती वे मायूस होकर रह जाते हैं।

ऐसी ही हालत राज्य के बाहर की जेलों में शिफ्ट किए जाने वाले कश्मीरियों की संख्या के प्रति है। इन कश्मीरियों में राजनेता भी हैं, वकील भी हैं और बिजनेसमेन भी। राज्य के बाहर की जेलों में कितने कश्मीरी भेजे गए हैं कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। यह आंकड़ा राज्य के बाहर की अखबारों के मुताबिक, 60 से 2000 के बीच है।

और कश्मीर के प्रति एक कड़वी सच्चाई यह है कि 52 दिनों के बाद भी सब ठीक है के दावों का राग समाप्त नहीं हुआ है जबकि अब दबे स्वर में राज्य के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोग भी इन परिस्थितियों पर रोष जरूर प्रकट करने लगे हैं।

टॅग्स :धारा ३७०जम्मू कश्मीर
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