अनुच्छेद 370 केसः सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, कहा- मामले को बड़ी बेंच में नहीं भेजा जा सकता
By रामदीप मिश्रा | Published: March 2, 2020 10:55 AM2020-03-02T10:55:56+5:302020-03-02T11:13:03+5:30
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (02 मार्च) को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिकाओं को सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ को भेजने का कोई कारण नहीं है।
बता दें इस साल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 23 जनवरी को सु्प्रीम कोर्ट से कहा था कि पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त किया जाना अब नियति का हिस्सा बन गया है और अब इस बदलाव को स्वीकार करना ही एकमात्र विकल्प बचा है।
Supreme Court refuse to refer to a larger bench a batch of pleas, challenging the constitutional validity of Centre's 5th August 2019 decision of abrogating provisions of Article 370. pic.twitter.com/5fXTRDBRcZ
— ANI (@ANI) March 2, 2020
केंद्र ने इस दलील का जोरदार विरोध किया था कि जम्मू कश्मीर भारत में शामिल नहीं हुआ था। केंद्र ने कहा था कि यदि ऐसा था तो अनुच्छेद 370 की कोई जरूरत नहीं पड़ती। केंद्र ने उन अर्जियों को सात न्यायाधीशों वाली एक वृहद पीठ को सौंपने का विरोध किया था जिनमें अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने के पिछले वर्ष पांच अगस्त के निर्णय की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई।
न्यायाधीश एन वी रमण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने मामले को एक वृहद पीठ को भेजने पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था और कहा था कि वह इस संबंध में एक विस्तृत आदेश पारित करेगा।
एनजीओ ‘पीपुल्स यूनियन आफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल), जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एक ‘इंटरवेनर’ ने मामले को सात न्यायाधीशों वाली एक बड़ी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था। इन अर्जियों में इस आधार पर मामले को एक वृहद पीठ को सौंपने का अनुरोध किय गया था कि अनुच्छेद 370 के मुद्दे से संबंधित उच्चतम न्यायालय के दो फैसले एक दूसरे के विरोधाभासी हैं और इसलिए पांच न्यायाधीशों की वर्तमान पीठ इस पर सुनवायी नहीं कर सकती। अर्जियों में उल्लेखित दो मामलों में 1959 में प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू कश्मीर और 1970 में सम्पत प्रकाश बनाम जम्मू कश्मीर का मामला शामिल है।
पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।