जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों के आत्मसमर्पण पर जोर दे रही सेना, एसओपी में किया बदलाव

By भाषा | Published: January 15, 2021 06:25 PM2021-01-15T18:25:52+5:302021-01-15T18:25:52+5:30

Army insisting on surrender of terrorists during encounter in Jammu and Kashmir, changes in SOP | जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों के आत्मसमर्पण पर जोर दे रही सेना, एसओपी में किया बदलाव

जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों के आत्मसमर्पण पर जोर दे रही सेना, एसओपी में किया बदलाव

(सुमीर कौल)

अवंतीपुरा (जम्मू-कश्मीर), 15 जनवरी भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव किया है, जिसके तहत वह मुठभेड़ों के दौरान अपने कर्मियों की जान को खतरा होने के बावजूद आतंकवादियों के आत्मसमर्पण पर अधिक जोर दे रही है। यह एक ऐसी नीति है जिससे बीते छह महीने के दौरान 17 युवकों की जान बचाने में मदद मिली है।

दक्षिण तथा मध्य कश्मीर के हिस्सों में आतंकवादी गतिवधियों से निपटने वाले 'विक्टर फोर्स' के तहत काम कर रहीं राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की चार इकाइयों को शुक्रवार को सेना दिवस के मौके पर प्रतिष्ठित ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

इकाइयों-50 आरआर, 44 आरआर, 42 आरआर तथा 34 आरआर विभिन्न आतंकवादी रोधी अधियानों में हिस्सा ले चुकी हैं और पिछले साल सितंबर से सात आत्मसमर्पण सुनिश्चित किए हैं। गत वर्ष ही यह निर्णय किया गया था कि भटके युवाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयास किये जाएंगे।

राष्ट्रीय राजधानी में चार इकाइयों को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। ये इकाइयां कुमाऊं, राजपूत, असम और जाट रेजिमेंट से जवानों को लेकर बनायी गई हैं।

पीटीआई द्वारा हासिल किये गए आत्मसमर्पण के कुछ वीडियो में दिख रहा है कि गंभीर खतरों के बावजूद सेना ने आतंकवादियों के परिजनों को मुठभेड़ स्थल पर लाकर उन्हें हथियार डालने के लिये राजी किया।

ऐसे ही एक वीडियो में जाहिद नामक आतंकवादी अपने पिता से भावपूर्वक मिलन करते दिखा। इस वीडियो में उसके पिता रोते हुए कहते हैं कि यह उनके बेटे का दोबारा जन्म है।

मुठभेड़ों के दौरान आत्मसमर्पण की निगरानी करने वाले विक्टर फोर्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल राशिम बाली ने कहा कि उन्हें लगता है कि इससे स्थानीय लोगों के बीच जबरदस्त सद्भावना उत्पन्न हुई है।

उन्होंने कहा, ''इससे स्थानीय आतंकवादियों को यह भरोसा मिला है कि राष्ट्रीय मुख्यधारा में उनके लौटने के दरवाजे खुले हैं। हम राष्ट्रीय मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक लोगों के आत्मसमर्पण को स्वीकार करने के लिये प्रतिबद्ध हैं, भले ही इसके लिये हमें अपनी जान को खतरे में क्यों न डालना पड़े।''

मेजर जनरल बाली ने साथ ही यह भी स्पष्ट कि कि बंदूकें उठाकर हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ अभियान जारी रहेंगे।

कुछ वीडियो में आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादी इसके लिए सेना की प्रशंसा करते हुए दिखे हैं कि उसने उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ने का एक मौका दिया।

सेना की यह नयी रणनीति पिछले साल तब अमल में आई थी जब आतंकवादी समूह अल बद्र के आतंकवादी शोएब अहमद भट ने मुठभेड़ के दौरान हथियार डालने की इच्छा प्रकट की थी।

शोएब दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में प्रादेशिक सेना के एक जवान की हत्या करने वाले समूह का हिस्सा था, लेकिन इसके बावजूद सैन्यकर्मियों ने उसका आत्मसमर्पण सुनिश्चित किया और उसे पूछताछ के बाद पुलिस को सौंप दिया गया।

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Web Title: Army insisting on surrender of terrorists during encounter in Jammu and Kashmir, changes in SOP

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