जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में लाठियों से लैस नकाबपोश लोगों द्वारा छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटना के बाद परिसर में शांति कायम हो गई है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इस घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को परिसर में पुलिस को बुलाना पड़ा था। पुलिस ने परिसर में फ्लैग मार्च भी किया। लेकिन, बाहरी लोगों द्वारा कैंपस में घुसकर जिसतरह से छात्रों पर हमला किया गया उसमें 20 से अधिक छात्र घायल हो गए हैं, जिसके इलाज एम्स में चल रहा है।
इस मामले में जहां अमित शाह ने दिल्ली पुलिस के मुखिया से बात कर मामले पर रिपोर्ट मांगी है। वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर और रेक्टर को अपने कार्यालय में बुलाया है। आइए जानते हैं इस घटना से जुड़ी दस बड़ी बातें-
1. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने हॉस्टल में प्रवेश किया और छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया। कुछ टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित वीडियो फुटेज में पुरुषों के एक समूह को दिखाया गया था, जो एक इमारत के चारों ओर हाथ में हॉकी स्टिक लिए घूमते नजर आए थे। ऐसा लग रहा था कि सबकुछ सुनियोजित तरह से हो रहा था।
2. जेएनयूएसयू के सदस्य, वाम दल के नेताओं और एबीवीपी ने हिंसा के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया है। छात्रों के संघ ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के सदस्यों द्वारा पथराव में आइश घोष सहित यूनिवर्सिटी के कई छात्र घायल हो गए। एक वीडियो में जेएनयूएसयू अध्यक्ष के सिर से खून बहता देखा गया है। बता दें कि अपराधियों ने घोष की बेरहमी से पिटाई की है।
3. आरएसएस समर्थित छात्रों के संगठन ने आरोप लगाया कि उसके सदस्यों पर वाम दलों से जुड़े छात्र संगठनों द्वारा क्रूरता से हमला किया गया और उनमें से 25 घायल हो गए, जबकि 11 लापता थे। घायलों में इसकी जेएनयू इकाई का सचिव भी शामिल था। हालांकि, यह आरोप कितना सही है यह जांच की विषय है।
4 JNU हॉस्टल में तीन कथित झड़पों के बाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रशासन ने पुलिस को परिसर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलाया है। उन्होंने छात्रों को शांत रहने और सतर्क रहने के लिए भी कहा। उन्होंने छात्रों को कहा, "उपद्रवियों से निपटने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।"
5. स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव जेएनयू कैंपस के बाहर मौके पर पहुंच गए। जहां बड़ी संख्या में छात्र इकट्ठा हुए थे। योगेंद्र यादव ने बाद में दावा किया कि "गुंडागर्दी" को रोकने के लिए कोई नहीं था और उन्हें मीडिया से बात करने की अनुमति नहीं थीं। इसके अलावा वहां खड़े कुछ असमाजिक तत्वों ने इनके साथ मारपीट भी की।
6. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल से जेएनयू कैंपस में हिंसा को रोकने के लिए आदेश बहाल करने का आग्रह किया। इसके बाद एलजी ने कहा कि उन्होंने पुलिस को अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
7. जेएनयू हॉस्टल में हिंसा के घंटों बाद, दिल्ली पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए "जेएनयू प्रशासन के अनुरोध" पर परिसर में प्रवेश किया। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि तनाव दो समूहों के बीच था जिसके परिणामस्वरूप JNU में यह स्थिति बनी।
8. पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) देवेंद्र आर्य ने कहा है कि परिसर के अंदर की स्थिति सामान्य है और सभी छात्रावास क्षेत्रों को सुरक्षित कर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि परिसर के अंदर एक व्यापक फ्लैग मार्च किया गया था और पुलिस की तैनाती यूनिवर्सिटी के हर रणनीतिक बिंदुओं पर की गई थीं।
9. इस हिंसा ने विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं जो भाजपा पर भारी पड़ीं। विपक्षी दलों ने भाजपा पर छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
घायल छात्रों से मिलने के लिए एम्स का दौरा करने वाली कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि घायल छात्रों में से एक ने उन्हें बताया कि उनके सिर पर पुलिस ने प्रहार किया था।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया, "एम्स ट्रॉमा सेंटर में घायल छात्रों ने मुझे बताया कि गुंडों ने कैंपस में घुसकर उन पर लाठी-डंडों और अन्य हथियारों से हमला किया। कईयों के अंग और अंगुली में चोटें आईं। एक छात्र ने कहा कि पुलिस ने उसके सिर पर कई बार लात मारी।" ।
10 सरकार की मंत्री सीतारमण ने कहा, "सरकार चाहती है कि विश्वविद्यालय छात्रों के लिए सुरक्षित हों।" जयशंकर ने ट्वीट किया, "जेएनयू में जो कुछ हो रहा है उसकी तस्वीरें व वीडियो विचलित करने जैसा है। हिंसा की असमान रूप से निंदा करते हैं। यह पूरी तरह से विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है।"