नौसेना के लिए राफेल-एम लड़ाकू विमान खरीदने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू, लगभग 50,000 करोड़ की है डील
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: October 28, 2023 10:49 AM2023-10-28T10:49:08+5:302023-10-28T10:52:08+5:30
फिलहाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत मिग-29 विमान का संचालन कर रहे हैं और इनमें से एक पर राफेल-एम तैनात करने की योजना है। इस बीच, तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों को नौसेना द्वारा प्रोजेक्ट 75 के हिस्से के रूप में रिपीट क्लॉज के तहत हासिल किया जाएगा।
नई दिल्ली: भारत ने लगभग 50,000 करोड़ रुपये के अनुमानित 26 राफेल लड़ाकू विमानों के नौसेनिक वर्जन के लिए खरीद की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रस्तावित सौदे के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा फ्रांसीसी आयुध महानिदेशालय को विस्तृत अनुरोध पत्र (एलओआर) जारी किया गया है जिसमें हथियार, सिम्युलेटर, स्पेयर के साथ 22 सिंगल-सीटर जेट और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर शामिल होंगे।
10-11 अक्टूबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांस का दौरा किया था। इसके बाद से ही पूरी प्रक्रिया में तेजी आई है। माना जा रहा है कि फ्रांस कुछ महीनों में अपने प्रस्ताव, मूल्य निर्धारण और अन्य विवरणों के साथ जवाब दे सकता है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार चला तो लागत पर बातचीत और सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की अंतिम मंजूरी के बाद अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के बाद, डिलीवरी तीन साल में शुरू हो जाएगी।
इस बीच टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मझगांव डॉक्स (एमडीएल) ने लगभग 30,000 करोड़ रुपये की तीन और स्कॉर्पीन डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण के लिए फ्रांसीसी मेसर्स नेवल ग्रुप के साथ बातचीत भी शुरू कर दी है। फ्रांसीसी नौसेना समूह के शीर्ष अधिकारी अब पनडुब्बी परियोजना पर चर्चा करने के लिए भारत में हैं, जिसमें नई दिल्ली कम से कम 60% स्वदेशी सामग्री चाहती है।
बता दें कि लड़ाकू विमान और पनडुब्बी दोनों सौदों को पेरिस में मोदी-मैक्रोन शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले 13 जुलाई को राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा प्रारंभिक मंजूरी या आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई थी।
बता दें कि फिलहाल विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और विक्रांत मिग-29 विमान का संचालन कर रहे हैं और इनमें से एक पर राफेल-एम तैनात करने की योजना है। इस बीच, तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों को नौसेना द्वारा प्रोजेक्ट 75 के हिस्से के रूप में रिपीट क्लॉज के तहत हासिल किया जाएगा, जहां उन्हें मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड में बनाया जाएगा।