धर्मांतरण विरोधी कानून:गुजरात उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर जवाब मांगा

By भाषा | Updated: September 10, 2021 15:44 IST2021-09-10T15:44:01+5:302021-09-10T15:44:01+5:30

Anti-conversion law: Gujarat High Court seeks response on plea to quash FIR | धर्मांतरण विरोधी कानून:गुजरात उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर जवाब मांगा

धर्मांतरण विरोधी कानून:गुजरात उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने की याचिका पर जवाब मांगा

अहमदाबाद, 10 सितंबर गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा है कि संशोधित धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत किसी महिला के पति, ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने पर क्या उसे कोई आपत्ति है, जब मुख्य आरोपी की पत्नी ने कहा है कि प्राथमिकी में लगाए गए अंतर-धार्मिक विवाह के आरोप सही नहीं थे।

न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा ने बुधवार को सरकार से कहा कि अगर वह मामले में प्राथमिकी को रद्द करने का विरोध करना चाहती है तो एक हलफनामा दाखिल करे क्योंकि मामले में आरोपी की पत्नी ने कहा है कि परिवार में मामूली घरेलू विवाद के बाद उसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन उसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है।

याचिकाकर्ता महिला ने प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया है क्योंकि विवाह में उसके पति और ससुराल वालों के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन के पहलू को ‘‘कुछ धार्मिक-राजनीतिक समूहों’’ के दबाव के कारण जोड़ा गया, जो इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देना चाह रहे थे।

महिला ने कहा कि वड़ोदरा में गोत्री पुलिस के समक्ष उसकी शिकायत ‘‘मामूली घरेलू वैवाहिक मुद्दे’’ से ज्यादा कुछ नहीं थी। अदालत ने सरकार को शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच मामले के निपटारे से संबंधित दावों को सत्यापित करने के लिए समय दिया। मामले में आगे 20 सितंबर को सुनवाई होगी।

आरोपी की पत्नी ने अपने पति, ससुराल वाले और शादी कराने वाले (कुल नौ लोगों) के साथ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सभी ने गुजरात धर्म स्वतंत्रता कानून, 2021 के तहत वड़ोदरा में दर्ज पहली प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है। मामले के दो दिन बाद इस कानून में संशोधन किया गया और 15 जून को अधिसूचित किया गया।

संशोधित की गई विभिन्न धाराओं के अलावा गिरफ्तारी के बाद आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून की विभिन्न धाराओं के तहत भी आरोप लगाए गए। कानून में विवाह के संबंध में जबरन धर्म परिवर्तन के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। याचिका में पुलिस पर पूरे प्रकरण में सांप्रदायिक पूर्वाग्रह दिखाने का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया कि पुलिस की पूरी कार्रवाई सांप्रदायिक रूप से ‘‘पक्षपाती’’ है।

उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता महिला और उसका भावी पति 2019 में एक-दूसरे को जानते थे और दोनों के बीच संबंध थे, जिसके बाद उन्होंने विशेष विवाह कानून, 1954 के अनुसार शादी कर ली तथा उनके परिवार के सदस्य एक-दूसरे को और उनके धर्म, सामाजिक स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ थे। फिर उन्होंने 16 फरवरी 2021 को इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार शादी कर ली और विशेष विवाह कानून के तहत पंजीकृत कराया। इसके बाद, पति और पत्नी के बीच कुछ मामूली विवाद के बाद महिला अपना घर छोड़कर अपने मायके चली गई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Anti-conversion law: Gujarat High Court seeks response on plea to quash FIR

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे