कृषि कानून वापस लेने की घोषणा: किसान खुश, अन्य मांगें पूरी होने का इंतजार बाकी

By भाषा | Updated: November 19, 2021 15:39 IST2021-11-19T15:39:26+5:302021-11-19T15:39:26+5:30

Announcement to withdraw agricultural law: Farmers happy, waiting for other demands to be fulfilled | कृषि कानून वापस लेने की घोषणा: किसान खुश, अन्य मांगें पूरी होने का इंतजार बाकी

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा: किसान खुश, अन्य मांगें पूरी होने का इंतजार बाकी

नयी दिल्ली/चंडीगढ़, 19 नवंबर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरु नानक जयंती पर शुक्रवार को अचानक की गई घोषणा का किसानों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और इसे लेकर खुशी व्यक्त की, लेकिन उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाए जाने की मांग पूरी होने का अब भी इंतजार है।

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर आखिरकार अपनी सरकार के कदम वापस खींच लिये और देश से ‘‘क्षमा’’ मांगते हुए इन्हें निरस्त करने एवं एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाने की शुक्रवार को घोषणा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में ये घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीपक के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए हैं।’’

उन्होंने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत, अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों से अपने घर वापस लौट जाने की अपील भी की।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि उनका आंदोलन केवल ‘‘तीन काले कानूनों’’ के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी दिए जाने के लिए भी था।

देश के करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि समूह एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘किसानों की महत्वपूर्ण मांग अब भी पूरी नहीं हुई है।’’ उसने यह भी कहा कि एसकेएम घटनाक्रम का संज्ञान लेगा और जल्द ही बैठक कर आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।

एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है। हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इस घोषणा के क्रियान्वयन की प्रतीक्षा करेंगे।’’

किसान संगठन ने कहा कि यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है, तो यह भारत में किसानों के एक साल लंबे संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी।

इस अनपेक्षित ‘‘जीत’’ पर कई स्थानों पर ढोल बजाए गए और मिठाइयां बांटी गईं।

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के बाद ही किसान कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को वापस लेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और दूसरे मुद्दों पर भी किसानों से बात करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने गुरु पर्व के अवसर पर और अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह किसी को भी दोष देने का समय नहीं है। आज मैं आपको... पूरे देश को... यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’’

उन्होंने आंदोलनरत किसानों से गुरु पर्व का हवाला देते हुए आग्रह किया, ‘‘अब आप अपने-अपने घर लौटें। अपने खेतों में लौटें। अपने परिवार के बीच लौटें। आइए...एक नयी शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास एवं किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कृषि समिति के सदस्य अनिल घनवट ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बताया। घनवट ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी कदम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना। हमारी समिति ने तीन कृषि कानूनों पर कई सुधार और समाधान सौंपे, लेकिन गतिरोध को सुलझाने के लिए इसका इस्तेमाल करने के बजाय मोदी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने कदम पीछे खींच लिए। वे सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं और कुछ नहीं।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने कहा कि कानूनों को निरस्त करने का फैसला प्रधानमंत्री मोदी की संवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने इन दावों को खारिज कर दिया कि सरकार प्रदर्शनकारियों के आगे झुक गई है।

विपक्षी दलों ने किसानों की जीत के लिए उन्हें बधाई दी, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल भी खड़े किए।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!’’

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज मोदी जी और उनकी सरकार के अहंकार की हार का दिन है। आज किसान विरोधी भाजपा और उनके पूंजीपति मित्रों की हार का दिन है। खेती को बेचने के षड्यंत्र की हार का दिन है। आज किसान, मंडी, मजदूर और दुकानदार की जीत का दिन है। आज 700 किसानों की शहादत की जीत का दिन है।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि चुनाव में आसन्न हार को देखते हुए प्रधानमंत्री को सच्चाई समझ आने लगी है, लेकिन उनकी नीयत एवं बदलते रुख पर विश्वास करना मुश्किल है।

पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन से क्या हासिल नहीं किया जा सकता। प्रधानमंत्री की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करना नीति में बदलाव और हृदय परिवर्तन से प्रेरित नहीं है। यह चुनाव की डर से किया गया फैसला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, यह किसानों के लिए बड़ी जीत है और यह कांग्रेस पार्टी के लिए भी जीत है जो इन कानूनों का पुरजोर विरोध कर रही थी।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘पहले संसद में जोर-जबरदस्ती से कानून पारित करवाते हैं। फिर अप्रत्याशित विरोध का सामना करते हैं। फिर उत्तर प्रदेश एवं पंजाब में चुनाव का सामना करते हैं। आखिरकार कानून निरस्त करते हैं। आखिर में किसान की जीत हुई। मैं अपने किसानों की दृढ़ता को सलाम करता हूं, जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी।’’

राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि अब सरकार को यह सबक ले लेना चाहिए कि संसद को दरकिनार नहीं करना है और विपक्ष के साथ सार्थक संवाद के जरिए उन कानूनों को पारित कराना है, जिनके दूरगामी असर होते हैं।

पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा को ‘‘सही दिशा में उठाया गया कदम’’ करार दिया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई, जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए। यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं, जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया।’’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया।

स्टालिन ने ट्वीट किया, ‘‘मैं किसान विरोधी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के माननीय प्रधानमंत्री के फैसले का पूरे दिल से स्वागत करता हूं। इतिहास ने हमें सिखाया है कि लोकतंत्र में जनता का सम्मान किया जाना चाहिए। मैं किसानों को बधाई देता हूं और गांधीवादी तरीकों से इसे हासिल करने के उनके दृढ़ संकल्प को नमन करता हूं।’’

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “किसी को भी अगर यह लगता है कि सरकार ने बड़प्पन दिखाते हुए कृषि कानूनों को रद्द किया है तो यह उसकी गलतफहमी है। यह सरकार केवल अपने खिलाफ स्थिति जाते देख प्रतिक्रिया देती है - उपचुनावों में मिले झटके के बाद जैसे ईंधन के दाम कम कर दिए गए थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में चुनावी गणित गड़बड़ाने के साथ ही कृषि कानून निरस्त कर दिए गए।”

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने तीन कृषि कानून वापस लिये जाने के केन्द्र के फैसले पर किसानों को बधाई दी और कहा कि सरकार को यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Announcement to withdraw agricultural law: Farmers happy, waiting for other demands to be fulfilled

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे