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साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ तिवारी को मूर्ति देवी पुरस्कार देने की घोषणा

By भाषा | Updated: December 7, 2019 13:24 IST

बयान के मुताबिक, ज्ञानपीठ की ओर से दिए जाने वाले मूर्ति देवी पुरस्कार में डॉ तिवारी को पुरस्कार स्वरूप सरस्वती प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र तथा चार लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी।

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ठळक मुद्देमूर्ति देवी पुरस्कार बीते 10 वर्षों के दौरान संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषा में लिखी गई कृति को दिया जाता है। बयान में बताया गया है कि ‘अस्ति व भवति’ तिवारी के 50 से अधिक वर्षों के सार्वजनिक जीवन का आईना है।

साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष और जाने माने कवि-आलोचक डॉ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को प्रतिष्ठित 33वां मूर्तिदेवी पुरस्कार देने की घोषणा की गई। भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसूदन आनंद ने एक बयान में बताया कि प्रो. सत्यव्रत शास्त्री की अध्यक्षता में हुई निर्णायक मंडल की बैठक में डॉ तिवारी को उनकी कृति ‘अस्ति व भवति’ के लिए पुरस्कार देने का निर्णय किया गया है।

बयान के मुताबिक, ज्ञानपीठ की ओर से दिए जाने वाले मूर्ति देवी पुरस्कार में डॉ तिवारी को पुरस्कार स्वरूप सरस्वती प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र तथा चार लाख रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। मूर्ति देवी पुरस्कार बीते 10 वर्षों के दौरान संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषा में लिखी गई कृति को दिया जाता है। 

बयान में बताया गया है कि ‘अस्ति व भवति’ तिवारी के 50 से अधिक वर्षों के सार्वजनिक जीवन का आईना है। इसमें डॉ तिवारी देश की समस्याओं, संकटों, विकास, राजनीतिक टकरावों, लेखकों के विचारों, वैश्विकरण के दौर में बदले मूल्यों से लेकर घर-परिवार, गांव-दुनिया से जुड़ी स्मृतियों को जीवंत करते हैं। 

20 नवंबर 1940 को जन्में डॉ तिवारी लंबे वक्त तक गोरखपुर विश्वविद्यालय से जुड़े रहे। वह साहित्यिक पत्रिका ‘दस्तावेज’ के संपादक भी हैं। इसके अलावा तिवारी ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष पद का जिम्मा भी संभाला है। डॉ तिवारी को महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, व्यास सम्मान, हिन्दी गौरव सम्मान, पुश्किन सम्मान आदि मिल चुके हैं।

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