मोदी सरकार के खिलाफ उतरेंगे अन्ना, अबकी बार इसलिए करेंगे आंदोलन
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: December 15, 2017 07:47 PM2017-12-15T19:47:15+5:302017-12-15T19:49:54+5:30
अन्ना हजारे ने कहा कि एनडीए के शासन में पिछले तीन सालों से भारत एशिया में भ्रष्ट देशों की सूची में सबसे ऊपर है।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए शुक्रवार को कहा कि एनडीए के शासन में पिछले तीन सालों से भारत एशिया में भ्रष्ट देशों की सूची में सबसे ऊपर है। वहीं, उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि मैं दावा नहीं कर रहा हूं, लेकिन पिछले 5 महीनों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खजाने में 80,000 करोड़ रुपए आए हैं।
नेशनल हेराल्ड के मुताबिक, हजारे ने एक फोर्ब्स पत्रिका के लेख का हवाला देते हुए कहा कि ट्रांसपेरेन्सी इंटरनेशनल सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत एशिया में भ्रष्ट देशों की सूची में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि मैं इसका दावा नहीं कर रहा हूं, लेकिन यह एशियाई देशों के बीच एक सर्वेक्षण करने के बाद फोर्ब्स पत्रिका द्वारा रिपोर्ट किया जा रहा है।
उन्होंने मोदी सरकार को लेकर कहा कि मैं पिछले तीन सालों से चुप हूं। जब एक नई सरकार आती है तो हमें उन्हें कुछ समय देना चाहिए इसलिए मैं चुप रहा, लेकिन अब उनके खिलाफ बात करने का समय आ गया है। अब मैं एक और जन लोकपाल और किसानों के लिए अगले साल 23 मार्च को आंदोलन करने जा रहा हूं।
अन्ना ने कहा कि मैं मजबूत जन लोकपाल और किसानों के मुद्दों के लिए आंदोलन में हर किसी को शामिल करने जा रहा हूं। हम लोग जेल में जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन यदि वे हमें जेलों में डाल देते हैं तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की हर जेल भर जानी चाहिए।
अन्ना हजारे ने कहा कि आम लोगों को अभी भी समस्याएं आ रही हैं। देश के किसान पीड़ित हैं। बैंकों ने उनको कर्ज दिया है, लेकिन उन्हें ज्यादा ब्याज ज्यादा देना पड़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक को सभी किसानों के लिए ब्याज दर निश्चित करना चाहिए। साथ ही बैंकों को किसानों के लाभ के लिए ब्याज को ठीक करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि किसान आत्महत्या करते हैं क्योंकि वे बैंकों का ऋण चुकाने के लिए फसलों के अच्छे दाम नहीं पाते है। वहीं, उनके धान के लिए कोई एमएसपी नहीं है।
उन्होंने कहा कि मैंने पिछले तीन सालों में पीएम मोदी को 32 पत्र लिखे हैं, लेकिन उनमें से किसी का भी पीएमओ से कोई जवाब नहीं आया है।