हैदराबादः गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को बृहस्पतिवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया। इस बीच आनंद मोहन की रिहाई पर बसपा प्रमुख मायावती और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर हमला बोला।
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्षी एकता के नाम पर घुम रहे हैं और खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बता रहे हैं। आप 2024 में दलित समुदाय को बोलेंगे कि आपने एक दलित अफसर की हत्या करने वाले व्यक्ति को छोड़ दिया।
बिहार में आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई को लेकर नीतीश कुमार सरकार की आलोचना करते हुए एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बृहस्पतिवार को मांग की कि राज्य सरकार अपने फैसले को वापस ले।
उन्होंने सवाल किया कि खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुए देश के अन्य राज्यों का दौरा कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या यह संदेश देंगे कि उनकी सरकार ने एक दलित अधिकारी की हत्या के दोषी व्यक्ति को रिहा कर दिया है। उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को 15 साल बाद बृहस्पतिवार को सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया।
गैंगस्टर से नेता बने मोहन की रिहाई ‘जेल सजा छूट आदेश’ के तहत हुई है। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में मोहन को दोषी ठहराया गया था। वर्ष 1994 में मुजफ्फरपुर के गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा के दौरान आईएएस अधिकारी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी।
कृष्णैया तेलंगाना से ताल्लुक रखते थे। ओवैसी ने सिंह को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले को ‘‘दूसरी बार कृष्णैया की हत्या’’ करार दिया। ओवैसी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह खेदजनक है कि बिहार में आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन इस मुद्दे पर चुप है।
उन्होंने पूछा कि एक व्यक्ति को रिहा करने के लिए जेल नियमों में संशोधन क्यों किया गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ने उम्मीद जताई कि नीतीश कुमार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।
मोहन की रिहाई ‘जेल सजा क्षमादान आदेश’ के तहत हुई है। हाल में बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ। गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में मोहन उम्रकैद की सजा काट रहे था।
1994 में मुजफ्फरपुर में एक गैंगस्टर की शवयात्रा के दौरान आईएएस अधिकारी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी। वह कृष्णैया हत्याकांड में दोषी पाए जाने के बाद पिछले 15 वर्षों से सलाखों के पीछे था। अक्टूबर 2007 में एक स्थानीय अदालत ने मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन दिसंबर 2008 में पटना उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था।
मोहन ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। नीतीश कुमार नीत बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन किया था और उस उपबंध को हटा दिया था, जिसमें कहा गया था कि ‘ड्यूटी पर कार्यरत जनसेवक की हत्या’ के दोषी को उसकी जेल की सजा में माफी/छूट नहीं दी जा सकती। सरकार के इस कदम से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था।
बिहार में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने नीतीश सरकार के इस कदम की आलोचना की थी। भाजपा सांसद एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से सत्ता में बने रहने के लिए कानून की बलि चढ़ा दी। वहीं, दिवंगत आईएएस की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर निराशा जाहिर की है।